नई दिल्ली। हमारे शरीर को सही तरीके से काम करने के लिए विभिन्न पोषक तत्वों की जरूरत होती है। शरीर में मौजूद सभी पोषक तत्व हमारे सही विकास और हमें सेहतमंद बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं। विटामिन डी इन्हीं पोषक तत्वों में से एक है, जो हमारी हड्डियों, दांतों और मांसपेशियों के स्वास्थ्य के लिए जरूरी है। ऐसे में शरीर में इसकी पूर्ति करना बेहद आवश्यक है, लेकिन कहते हैं कि किसी भी चीज की अति सेहत के लिए हानिकारक होती है। विटामिन डी के साथ भी यह कहावत सटीक बैठती है।
जिस तरह शरीर में इसकी कमी हानिकारक होती है, ठीक उसी तरह इसकी ज्यादा मात्रा भी आपके लिए घातक साबित हो सकती है। बीते दिनों यूके में 89 वर्षीय डेविड मिचेनर की विटामिन डी के हाई लेवल की वजह से मौत हो गई। वह बीते नौ महीने से विटामिन डी सप्लीमेंट्स ले रहे थे। ऐसे में आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे शरीर में ज्यादा विटामिन डी होने के कुछ साइड इफेक्ट्स के बारे-
क्यों जरूरी है विटामिन डी?
विटामिन डी कैल्शियम और फास्फोरस अब्जॉर्प्शन को रेगुलेट करके, हड्डियों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और इम्युनिटी मजबूत बनाकर पूरे स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह हड्डियों और दांतों को बनाने में भी मदद करता है, जिससे ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा कम होता है और मांसपेशियों के कार्य में मदद होती है। इसके अवाला विटामिन डी में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं और यह हार्ट डिजीज, ऑटोइम्यून डिसऑर्डर और कुछ कैंसर सहित कुछ पुरानी बीमारियों के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है।
विटामिन डी ओवरडोज के गंभीर परिणाम
विटामिन डी का सबसे अच्छा सोर्स सूरज की रोशनी है। साथ ही कुछ फूड आइटम्स जैसे फैट युक्त मछली और फोर्टिफाइड फूड्स से भी शरीर में इसकी पूर्ति की जा सकती है। इसके अलावा कई लोग सल्पीमेंट्स की मदद से भी शरीर में इसकी कमी दूर करते हैं। हालांकि, जब कोई ज्यादा मात्रा में इन सल्पीमेंट्स का सेवन करता है, तो इससे विटामिन डी टॉक्सिसिटी या हाइपरविटामिनोसिस हो सकता है। विटामिन डी टॉक्सिसिटी आमतौर पर तब होती है जब विटामिन डी का अधिक सेवन किया जाता है।
कैसे करें विटामिन डी टॉक्सिसिटी की पहचान
विटामिन डी टॉक्सिसिटी के लक्षण स्थिति की गंभीरता के आधार पर अलग-अलग हो सकते हैं। इसके शुरुआती चरण के लक्षणों में मतली, उल्टी, भूख कम लगना, कब्ज, कमजोरी और वजन कम होना शामिल हो सकते हैं। ज्यादा गंभीर मामलों में, अत्यधिक विटामिन डी से हाइपरकैल्सीमिया हो सकता है, जो खून में कैल्शियम के हाई लेवल को दर्शाता है। हाइपरकैल्सीमिया के लक्षणों में भ्रम, भटकाव, अत्यधिक प्यास, बार-बार पेशाब आना और किडनी डैमेज शामिल हो सकते हैं।
कैसे करें विटामिन डी टॉक्सिसिटी से बचाव?
जब विटामिन डी टॉक्सिसिटी से बचाव की बात आती है, तो इसकी रोकथाम महत्वपूर्ण है। इसके बचने के लिए पर्याप्त मात्रा में ही विटामिन डी की खुराक ली जानी चाहिए। ज्यादातर वयस्कों के लिए विटामिन डी की निर्धारित मात्रा प्रति दिन 600 से 800 आईयू तक होती है। इसके अलावा फोर्टिफाइड फूड्स और कॉड लिवर ऑयल का सेवन भी सावधानी से करना चाहिए, क्योंकि अत्यधिक सेवन से विटामिन डी की अधिकता हो सकती है।
विटामिन डी के रिच सोर्स
हड्डियों के स्वास्थ्य और बेहतक इम्युनिटी के लिए जरूरी विटामिन डी विभिन्न स्रोतों से प्राप्त किया जा सकता है। सूरज की रोशनी इसका प्राकृतिक स्रोत है। इसके अलावा कुछ फूड आइटम्स विटामिन डी से भरपूर होते हैं, जिनमें सैल्मन, टूना और मैकेरल जैसी फैटयुक्त मछली, साथ ही दूध, दही और पनीर जैसे फोर्टिफाइड डेयरी प्रोडक्ट्स शामिल हैं।