उप्र, मप्र और महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में हिंसक हुए प्रदर्शनकारी

नई दिल्ली। हिट एंड रन कानून में सजा को सख्त किए जाने के विरोध में वाहन चालकों की हड़ताल से लोग परेशान रहे। राजधानी के साथ उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड समेत विभिन्न राज्यों में लोगों को कामकाज पर जाने में दिक्कत आई।

निजी वाहन चालकों के विरोध के कारण कई जगह सरकारी वाहन भी नहीं चल सके। उप्र में कई जगहों पर ट्रक चालकों ने हाईवे जाम कर दिया, जिन्हें हटाने के लिए पुलिस को लाठियां चलानी पड़ीं।

केंद्र सरकार की ओर से प्रस्तावित नए कानून में टक्कर मारकर भागने और दुर्घटना की सूचना न देने पर चालक को 10 साल तक जेल व सात लाख रुपये जुर्माने का प्रविधान किया जाना है। पहले आइपीसी की धारा 304ए (लापरवाही से मौत) के तहत आरोपित को केवल दो साल तक की जेल हो सकती थी।

सामने आया है कि वाट्सएप पर प्रसारित संदेश के आधार पर चालकों ने ट्रक व बस संचालन रोका। कोई संगठन इसकी अगुवाई नहीं कर रहा है।

हरियाणा रोडवेज की बस चालक यूनियन हड़तालियों के समर्थन में आगे आई तो उप्र रोडवेज बस चालकों ने हड़ताल की घोषणा कर दी है।आल मोटर इंडिया ट्रांसपोर्ट कांग्रेस ने कहा है कि हड़ताल की घोषणा से पहले नए कानून की बारीकियों पर चर्चा होगी।

इसके लिए यूनियन के अध्यक्ष अमृत लाल मदान मंगलवार को सभी प्रदेश यूनियन अध्यक्षों से वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से वार्ता करेंगे। इसके बाद ही कोई निर्णय होगा। आल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के महासचिव नवीन गुप्ता ने कहा कि सूचना मिल रही है कि कई जगह ट्रक चालक नए कानून के विरोध प्रदर्शन में उग्र हो रहे हैं। उनसे संयम बरतने की अपील की है। मंगलवार को निर्णय लिया जाएगा कि हड़ताल करनी है या सरकार को सुझाव देना है।

मप्र में पेट्रोल पंप ड्राई
महाराष्ट्र में भी संकटआयोजित तीन दिवसीय हड़ताल का पहले दिन ही जनजीवन पर व्यापक असर पड़ा। वाहन चालकों ने प्रमुख मार्गों पर भारी वाहन खड़े कर दिए, जिससे आवागमन प्रभावित हुआ। यात्री बसें न चलने से लोग परेशान दिखे। दिल्ली-एनसीआर में निजी टैक्सियों के पूरी तरह नहीं चलने से लोगों को दफ्तर जाने में दिक्कत आई।

उप्र में मथुरा में आगरा-दिल्ली नेशनल हाईवे-19 पर सुबह 10 बजे ट्रक चालकों ने जाम लगा दिया। छह घंटे तक हाईवे पर दोनों साइड वाहनों की लंबी कतार रही। जाम से यात्री व श्रद्धालु परेशान रहे। शाम चार बजे पीएसी पहुंची तो चालकों ने पथराव शुरू कर दिया। दूसरी जगहों पर भी यही हालात रहे।

मप्र में तेल के टैंकर न पहुंचने से तमाम पेट्रोल पंप ड्राई हो गए। महाराष्ट्र में भी कई स्थानों पर ईंधन की कमी की आशंका पैदा हो गई है। ट्रक चालकों के हमलों में दो पुलिसकर्मी घायल हो गए। उत्तराखंड में नए साल के पहले ही दिन यात्री वाहनों के पहिये थम गए।

परिवहन निगम की बसें डिपो में खड़ी रहीं, जबकि निजी बसें, सिटी बसें, टैक्सी-मैक्सी, ट्रक व विक्रमों के पहिये भी थमे रहे। राजस्थान में कई जिलों में एहतियातन रोडवेज बसों का संचालन बंद रहा। बिहार में सरकारी बसों के चालक भी हड़ताल में शामिल रहे। छत्तीसगढ़ में हड़ताल को बस और ट्रक यूनियन का समर्थन नहीं मिला, लेकिन वाहन चालक हड़ताल में शामिल हुए।

बाजार पर पड़ने लगा असर
कुछ प्रदेशों के ट्रक चालकों ने अपने स्तर पर हड़ताल की है, जिसका इसका असर दिखाई देने लगा है। मंडियों में सब्जी के दाम एकाएक बढ़ने लगे हैं। प्याज तीन दिन के अंतराल में 30 से बढ़कर 50 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई है। उद्योगों में भी गुजरात से माल नहीं पहुंचने पर चिंता जताए जाने लगी है।

गुरुग्राम और फरीदाबाद में पिछले दो दिन में दिल्ली एनसीआर, हरियाणा सहित उत्तर प्रदेश को छोड़कर अन्य राज्यों से तीस प्रतिशत ट्रक कम पहुंचे हैं। औद्योगिक संगठनों का मानना है कि यदि हड़ताल लंबी चली तो इसके गंभीर असर होने लगेंगे।

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