किसान और सरकार एक बार फिर आमने-सामने हैं. वे अपनी मांगों को लेकर सड़क पर उतरे हैं उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड़ ने भी किसानों के लिए आवाज उठाई है उन्होंने पूछा है कि किसानों से किए गए वादे पूरे क्यों नहीं किए गए और प्रदर्शनकारी किसानों के साथ कोई बातचीत क्यों नहीं की गई उन्होंने कहा कि संकट में फंसे किसानों का आंदोलन का सहारा लेना देश की समग्र भलाई के लिए अच्छा संकेत नहीं है सवाल उठता है कि किसान फिर से सड़कों पर क्यों उतरे हैं उनकी क्या मांगें हैं और विवाद की जड़ क्या है
किसानों का प्रदर्शन 25 नवंबर को नोएडा ऑथिरिटी के बाहर शुरू हुआ था, लेकिन 2 दिसंबर को ये हेडलाइन बन गया पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 5 हजार किसान 2 दिसंबर को दिल्ली में दाखिल होने के लिए दिल्ली-नोएडा बॉर्डर पर जुटे
संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेयू), भारतीय किसान परिषद (बीकेपी) और किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) सहित कई किसान नेतृत्व वाले संगठनों के बैनर तले विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है जबकि इनमें से कुछ संगठनों जैसे एसकेयू ने भी केंद्र सरकार द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों के खिलाफ 2020 के किसानों के विरोध का नेतृत्व किया इस बार उनकी मांगें अलग हैं और उत्तर प्रदेश सरकार से संबंधित हैं
उधर, पंजाब के किसानों का एक और समूह पंजाब-हरियाणा सीमा के पास विरोध प्रदर्शन कर रहा है उनकी मांगें न्यूनतम समर्थन मूल्य से संबंधित हैं और यूपी के किसानों के मुद्दों से अलग हैं
यूपी के किसानों की क्या मांग है?
उत्तर प्रदेश के किसानों की मांगें 1997 से 2008 के बीच क्षेत्र में सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण से संबंधित हैं भारतीय किसान यूनियन (अखंड) के अध्यक्ष चौधरी महेश कसाना ने कहा, हम लंबे समय से विरोध कर रहे हैं लेकिन प्राधिकरण ने गरीब किसानों का शोषण करने के अलावा कुछ नहीं किया है अब वे न्यू नोएडा की बात कर रहे हैं, वे फिर से हमारी जमीन जबरदस्ती हड़प लेंगे
किसानों ने मांग की है कि आवासीय और वाणिज्यिक क्षेत्रों को विकसित करने के लिए ली गई भूमि का 10% उन परिवारों के लिए भूखंड के रूप में विकसित किया जाए जो इसके मूल मालिक थे वे बढ़ी हुई मुद्रास्फीति के कारण मुआवजे की दर में 64.7% की वृद्धि भी चाहते हैं
किसानों का तर्क है कि पुरानी अधिग्रहण दर मौजूदा बाजार दर से चार गुना कम है अन्य मांगों में विस्थापित लोगों के बच्चों और परिवारों के लिए नए कानूनी लाभ लागू करना शामिल है जैसे स्कूलों और कॉलेजों में 10% आरक्षण और मुफ्त बिजली और पानी
2008 से ऐसी मांगों को लेकर कई विरोध प्रदर्शन किए गए हालांकि इस साल की शुरुआत से बीकेपी के सुखबीर खलीफा जैसे नेताओं और कई अन्य संगठनों के शामिल होने के बाद विरोध तेज हो गया फरवरी में नोएडा में दलित प्रेरणा स्थल पर उनके विरोध प्रदर्शन को रोक दिया गया था राज्य सरकार ने किसानों को उनकी मांगें पूरी करने का आश्वासन दिया और कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मुद्दों की जांच के लिए एक रिपोर्ट का मसौदा तैयार करने के लिए एक समिति का गठन करेंगे
समिति की सिफारिशों में ये थीं…
नोएडा प्राधिकरण और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण दोनों को दो महीने के भीतर न्यू ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण ग्रामीण आबादी साइट (आवासीय प्रयोजन के लिए प्रबंधन और नियमितीकरण) (तीसरा संशोधन) विनियम 2011 के अनुसार अपनी कुल ग्रामीण आबादी का एक सर्वेक्षण तैयार करना चाहिए
दोनों ऑथिरिटी को 3 महीने के अंदर सीमाओं का निर्धारण और सीमांकन करना चाहिए.
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी 6 महीने के अंदर पात्र किसानों को भूखंड आवंटित करें
GNIDA को उन किसानों को 64.7% बढ़ा हुआ मुआवजा देना चाहिए जिनकी जमीन अधिग्रहीत की गई है
एक क्षेत्रीय विकास समिति विकसित की जानी चाहिए. इसके सदस्यों में जिला मजिस्ट्रेट, तीनों प्राधिकरणों के सीईओ, मुख्य विकास अधिकारी, सामाजिक कार्यकर्ता और दो प्रतिष्ठित गैर सरकारी संगठन शामिल होंगे
किसानों का आरोप है कि रिपोर्ट को कभी सार्वजनिक नहीं किया गया और इसकी सिफारिशों को कभी लागू नहीं किया गया उन्होंने कहा कि हालांकि यूपी सरकार ने उनकी कई मांगें मान लीं, लेकिन मूल मालिकों के लिए गौतमबुद्धनगर में 10% जमीन आवंटित करने की उनकी मुख्य मांग कभी नहीं मानी गई
अब क्या कर रहे किसान?
किसानों ने आज (बुधवार) नोएडा के महामाया फ्लाईओवर पर धरने पर बैठने का ऐलान किया है. किसानों की गिरफ्तारी पर आज महापंचायत भी होगी. वहीं, यूपी सरकार ने आंदोलन का समाधान खोजने के लिए एक कमेटी गठन करने का फैसला लिया है
यह कमेटी अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास विभाग के प्रमुख सचिव आईएएस अनिल कुमार सागर की अध्यक्षता में बनाई गई है समिति में अनिल कुमार सागर के अलावा पीयूष वर्मा विशेष सचिव अवस्थापना व औद्योगिक विकास, संजय खत्री ACEO नोएडा व सौम्य श्रीवास्तव ACEO ग्रेटर नोएडा, कपिल सिंह ACEO YEIDA शामिल हैं ये कमेटी एक महीने में सरकार को रिपोर्ट और सिफारिशें सौंपेगी