विश्वविद्यालय में सभी को पढ़ाई के लिए समान अधिकार…

डीडीयू कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने कहा कि विश्वविद्यालय में सभी को पढ़ाई के लिए समान अधिकार देने के उद्देश्य से परास्नातक में प्रवेश के समय मिलने वाले वेटेज को समाप्त कर दिया गया है। इसके अलावा सर्वाधिक मांग वाले स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रमों में एक-एक सेक्शन बढ़ाने का निर्णय लिया गया है।

दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में सर्वाधिक मांग वाले स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रमों में सीट वृद्धि को मंजूरी मिल गई है। मंगलवार को प्रवेश समिति ने बीएससी और बीकॉम करने वालों के लिए एमए में प्रवेश का रास्ता भी खोल दिया है। परास्नातक में विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को मिलने वाला वेटेज भी खत्म कर दिया है। हालांकि एनएसएस के स्वयंसेवकों, एनसीसी कैडेट्स व छात्राओं को मिलने वाला दो प्रतिशत का वेटेज जारी रहेगा।

गोरखपुर विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन में कुलपति प्रो. पूनम टंडन की अध्यक्षता में मंगलवार को अपराह्न तीन बजे प्रवेश समिति की बैठक शुरू हुई। इसमें करीब दो घंटे से अधिक समय तक विभिन्न विषयों पर मंथन किया गया। स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रमों में इंजीनियरिंग के कंप्यूटर साइंस, आईटी, बीएससी कृषि, एमबीए, बीबीए और बीकॉम बैंकिंग एंड इंश्योरेंस आदि में एक-एक सेक्शन बढ़ाने पर प्रवेश समिति ने मंजूरी दे दी। इसके अंतर्गत करीब 75-75 अतिरिक्त विद्यार्थियों को प्रवेश मिल सकेगा।

उल्लेखनीय है कि डीडीयू में इन विषयों की सर्वाधिक मांग है। इन पाठ्यक्रमों में एक-एक सीट के लिए बीस से तीस गुना तक अधिक आवेदन आते हैं। बीएससी और बीकॉम करने वाले विद्यार्थी अब विश्वविद्यालय में भी एमए कर सकेंगे। इसको लेकर प्रवेश समिति ने मंजूरी दे दी। सभी संकायों के विभागों से यह अपेक्षा की गई कि वे अपने बोर्ड ऑफ स्टडीज में इसे लेकर लचीला रुख अपनाएंगे।

प्रवेश समिति की बैठक में परास्नातक में प्रवेश के दौरान मिलने वाला वेटेज भी खत्म कर दिया गया है। इसके तहत विश्वविद्यालय परिसर के छात्रों को पांच प्रतिशत और संबद्ध कॉलेजों के छात्रों को दो प्रतिशत वेटेज दिया जाता था। जबकि बाहरी विश्वविद्यालयों के छात्रों को कोई वेटेज नहीं मिलता था। एनएसएस के स्वयंसेवकों, एनसीसी कैडेट्स और छात्राओं को मिलने वाला दो प्रतिशत वेटेज जारी रहेगा। बैठक में कुलसचिव प्रो. शांतनु रस्तोगी, परीक्षा नियंत्रक डॉ कुलदीप सिंह आदि मौजूद रहे।

डीडीयू कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने कहा कि विश्वविद्यालय में सभी को पढ़ाई के लिए समान अधिकार देने के उद्देश्य से परास्नातक में प्रवेश के समय मिलने वाले वेटेज को समाप्त कर दिया गया है। इसके अलावा सर्वाधिक मांग वाले स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रमों में एक-एक सेक्शन बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। अब बीएससी व बीकॉम के बाद विद्यार्थी एमए कर सकेंगे।

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