यूपीएस बड़े पूंजीपतियों और औद्योगिक घरानों को लाभ पहुचाने वाला स्कीम
पुरानी पेंशन के सिवाय कुछ भी मंजूर नहीं
बलिया। विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष डॉ. घनश्याम चौबे ने यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) को शिक्षक व कर्मचारियों के साथ छलावा बताते हुए कहा कि हम शिक्षक व कर्मचारियों को पुरानी पेंशन से कम कुछ भी मंजूर नही है। सरकार की यह योजना बड़े पूंजीपतियों को अप्रत्यक्ष रूप से लाभ पहुंचाने की योजना है।
डॉ. चौबे ने कहा कि यूनिफाइड पेंशन स्कीम बड़े पूंजीपतियों और औद्योगिक घरानों को बड़े पैमाने पर लाभ पहुंचाने वाला प्लान है।सरकार द्वारा यूनिफाइड पेंशन स्कीम के माध्यम से शिक्षक /कर्मचारियों को लाभ पहुंचाने की बात की जा रही है। लेकिन इसके मूल में पूंजीपतियों के लाभ ज्यादे है। अगर यूनिफाइड पेंशन स्कीम की समीक्षा की जाय तो पता चलता है कि सरकार द्वारा अंशदान की परिधि 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 18.5 प्रतिशत कर दी गई है साथ ही कर्मचारियों के 10 प्रतिशत अंशदान को यथावत रखा गया है। जिसका लाभ फण्ड मैनेजरों के माध्यम से बड़े पूंजीपतियों व औद्योगिक घरानों को होगा और इस प्रकार राजकोष का एक बड़ा हिस्सा पूंजीपतियों के हिस्से में किया जा सकेगा। पुरानी पेंशन में आखिरी पूर्ण वेतन का 50 प्रतिशत पेंशन के रूप में निर्धारित होता था जो महंगाई भत्ते से युक्त था। लेकिन यूनिफाइड पेंशन स्कीम में पेंशन का निर्धारण 25 वर्ष की सेवा पर मूल वेतन (12 माह के औसत मूल वेतन) का 50 प्रतिशत होगा जो पुरानी पेंशन स्कीम के लगभग आधे के बराबर होगा। यूनिफाइड पेंशन स्कीम में महंगाई भत्ते का ध्यान तो रखा गया है। लेकिन इसमें डियरनेश लिंक नही है। इसमे इन्फ्लेशन से इंडेक्ससेशन किया गया है, यानी महंगाई भत्ते का ध्यान तो रखा गया है उसके साथ जोड़ दिया गया है कि महंगाई भत्ता तो दिया नही जाएगा। लेकिन अगर महंगाई बढ़ रही है तो पेंशन भी बढ़ेगी।
यदि अर्थशास्त्री दृष्टिकोण से समीक्षा की जाय तो यूनिफाइड पेंशन स्कीम पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने वाली पेंशन प्लान है और यह शिक्षक कर्मचारियों के साथ धोखा है। शिक्षक व कर्मचारियों को पुरानी पेंशन के सिवाय कुछ भी मंजूर नहीं है और पुरानी पेंशन बहाली तक हमारा संघर्ष जारी रहेगा।