शंभू बॉर्डर खोलने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में दो सितंबर को सुनवाई

  • तीन-चार दिनों में कमेटी का गठन करेंगे, तब तक पंजाब व हरियाणा की सरकारें किसानों से बात जारी रखें

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शंभू बॉर्डर को खोलने के मामले पर गुरुवार को सुनवाई टाल दी। जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि तीन-चार दिनों में हम कमेटी का गठन करेंगे, जो किसानों से बात करेगी। मामले की अगली सुनवाई दो सितंबर को होगी। तब तक पंजाब और हरियाणा की सरकारें किसानों से बात जारी रखें।

सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब एवं हरियाणा सरकार को निर्देश दिया कि वो कमेटी के विचार के लिए मसले बता सकते हैं ताकि कोर्ट कमेटी को दे सके। आज सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार ने कहा कि किसानों से 19 अगस्त को बैठक हुई थी। किसानों को हाइवे खोलने में कोई आपत्ति नहीं है लेकिन वे आंदोलन करने पर अडिग हैं। तब कोर्ट ने कहा कि आप किसानों को बताइए कि कोर्ट भी उनकी समस्याओं के समाधान के लिए प्लेटफार्म उपलब्ध कराना चाहता है। सुनवाई के दौरान अटार्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कहा कि अगली सुनवाई के पहले एक बार किसानों से और बात की जानी चाहिए। तब कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई दो सितंबर को करने का आदेश दिया।

कोर्ट ने 12 सितंबर को शंभू बार्डर को आंशिक रूप से खोलने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि एंबुलेंस, सीनियर सिटिजंस, महिलाओं, छात्रों आदि के लिए हाइवे खोला जाए। इसके लिए दोनों तरफ की सड़क की एक-एक लेन खोलने को कहा गया था।

सुप्रीम कोर्ट ने किसानों से बातचीत कर गतिरोध को ख़त्म करने में लिए कमेटी के गठन के लिए पंजाब, हरियाणा सरकार की ओर से सुझाए नाम पर संतोष जाहिर किया था। कोर्ट ने कहा था कि कमेटी के लिए गैर राजनीतिक लोगों का चयन सराहनीय है। कोर्ट ने पटियाला और अंबाला के पुलिस अधिकारियों को एक हफ्ते में मीटिंग कर इस पर विचार करने को कहा था कि कैसे शंभू बॉर्डर को आंशिक रूप से खोला जा सकता है। कोर्ट ने कहा था कि दोनों राज्यों के पुलिस अधिकारियों को तय करना है कि कैसे एम्बुलेंस, जरूरी सेवाओं, छात्राओं और रोजाना सफर करने वाले लोगों के लिए हाइवे को खोला जा सकता है।

उल्लेखनीय है कि 10 जुलाई को एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार को एक हफ्ते में शंभू बॉर्डर के बैरिकेड खोलने का निर्देश दिया था। हरियाणा सरकार ने हाई कोर्ट के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। हरियाणा सरकार का कहना है कि कानून व्यवस्था की स्थिति के मद्देनजर उसने रास्ता बंद रखा हुआ है। हाई कोर्ट को ऐसा आदेश नहीं देना चाहिए।

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