आर्थिक आरक्षण बंद करो और जाति आधारित आरक्षण लागू करो
बलिया। 15 सूत्रीय मांगों को लेकर ट्रेड यूनियन सेंटर आफ इंडिया के बैनर तले मजदूरों ने शुक्रवार को कलेक्ट्रेट में जोरदार प्रदर्शन किया। इस दौरान आरएसएस और भाजपा की नेतृत्ववाली मोदी सरकार द्वारा लागू किए गए नए चार श्रम कोड को कार्पोरेटवादी फांसीवाद का उदाहरण बताया। बताया कि केंद्र और राज्य सरकारों के नेतृत्व में भारत के शासक वर्गों द्वारा 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाना एक खोखला अनुष्ठान है।जिसका मजदूर वर्ग, भूमिहीन एवं गरीब किसान, दलित मुस्लिम, आदिवासी महिला और अन्य उत्पीड़न वर्ग के लिए कोई मतलब नहीं है। मांग किया कि मजदूर विरोधी चार श्रम संहिताओं को रद्द करें। निजीकरण और लोगों कीं संपत्तियों की बिक्री को रोके। न्यूनतम मजदूरी 31500 रूपए मासिक तय करें। ठेका मजदूरी प्रणाली को समाप्त करें और सभी श्रमिकों को समान मजदूरी दें। सीएए निरस्त करें और अल्पसंख्यकों के संवैधानिक अधिकारों को बचाएं। निर्यात के लिए मजदूरों की भर्ती न करें। दलितों, महिलाओं और आदिवासियों पर हमला रोकें। आर्थिक आरक्षण बंद करें और जाति आधारित आरक्षण लागू करें। कानूनी सुरक्षा में सभी कृषि उत्पादों के लिए एमएसपी सुनिश्चित करें। मनरेगा मजदूरों को काम दें, काम न देने की स्थिति में बेरोजगारी भत्ता दें। मनरेगा मजदूरों की आनलाइन हाजिरी पर रोक लगाएं। जॉब कार्ड को आधार कार्य से जोड़ना ऐच्छिक हो, अनिर्वाय नहीं। मनरेगा को कृषि से जोड़े। मनरेगा मजदूरों की मजदूरी प्रतिदिन एक हजार रूपए किया जाए।