महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रशिक्षण आयोजित

मसौली,बाराबंकी। विकास खण्ड मसौली के धनकुट्टी गांव में बाजार संपर्क और सतत एक्वा उद्यमिता के लिए एक अभूतपूर्व मॉडल पेश किया गया है। प्रशिक्षण के लिए बुनियादी ढांचा समर्थन हाइटेक फिशरीज और फार्मर नॉलेज सेंटर, धनकुट्टी द्वारा प्रदान किया गया।कार्यक्रम में डॉ एसपीएस खनूजा पूर्व निदेशक सीएसआईआर सीमैप ने कहा कि नवाचारी दृष्टिकोण में ग्रामीण महिलाओं द्वारा घर पर छोटे तालाबों में सजावटी मछलियों को पालन और उन्हें उनके व्यवसायिक मार्गदर्शक और प्रशिक्षक, एक्वावर्ल्ड के माध्यम से शहरी बाजारों से जोड़ना है। उन्होंने कहा कि इस पहल की नींव 21 फरवरी से 23 फरवरी 2024 को आयोजित एक आउटरीच प्रशिक्षण और कौशल विकास कार्यक्रम के दौरान रखी गई थी। इस कार्यक्रम ने महिलाओं को एक्वेरियम डिजाइनिंग, मछली पालन और संस्कृति में आवश्यक ज्ञान और कौशल प्रदान किया। प्रशिक्षण के बाद, एक समर्पित व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से निरंतर समर्थन प्रदान किया गया।स्वयं सहायता समूह की प्रशिक्षित महिलाओं में उषा रावत और सीमा रावत वित्तीय सशक्तिकरण के रोल मॉडल के रूप में उभरीं, जिन्होंने लाभकारी सजावटी मछली संस्कृति मॉडल को अपनाया। कार्यक्रम के दौरान महिलाओं द्वारा एक्वावर्ल्ड को 600 से अधिक सजावटी मछलियां बेची गईं। कार्यक्रम के संचालक डा पूनम जयंत सिंह ने जानकारी दी कि पांच गांवों रहरामऊ, बसंत नगर, गौरवा गौरी, धानकुट्टी और चंदवारा की अनुसूचित जाति समुदाय की महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया और उन्हें पालन के लिए सजावटी मछलियां दी गईं।इस परियोजना का उद्देश्य अनुसूचित जाति की महिलाओं को सजावटी मछली उद्यम के माध्यम से स्थायी आय स्रोत बनाकर सशक्त बनाना है, जिससे वे माइक्रो-एक्वा-उद्यम शुरू कर सकें और बाजार संपर्क स्थापित कर सकें।कार्यक्रम संचालन डॉ. पूनम जयंत सिंह, नोडल इंद्रमणि राजा,
एक्वावर्ल्ड डॉ. सुरेश शर्मा, हाजी मतलुक अंसारी, उद्यमी डॉ. ए.के. पाठक, डॉ. एल.के. त्यागी, डॉ. ए.के. यादव, और रवि कुमार द्वारा किया गया।

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