कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष कि पूर्णिमा तिथि पर गुरु नानक देव जी का जन्म हुआ था। इस साल कार्तिक पूर्णिमा 27 नवंबर को है, इसलिए 27 नवंबर को ही सिख धर्म के पहले गुरु, गुरु नानक देव जी जयंति मनाई जाएगी। आज गुरु नानक जयंती पूरे देश में धूमधाम से मनाई जा रही है। ये त्योहार हर साल कार्तिक पूर्णिमा को मनाया जाता है। कहा जाता है कि इस दिन सिखों के पहले गुरु “गुरु नानक साहब” का जन्म हुआ था। गुरु नानक देव की जयंती को गुरु पर्व और प्रकाश पर्व के रूप में भी मनाया जाता है। आइए जानते हैं कि आख़िर गुरु नानक देव कौन थे और उनकी जयंती को प्रकाश पर्व क्यों कहा जाता है।
गुरु नानक देव की जयंती को गुरु पर्व और प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस दिन सिख धर्म के लोग गुरुद्वारे जाकर गुरुग्रंथ साहिब का पाठ करते हैं और भक्ति में लीन होकर भजन-कीर्तन करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि गुरु नानक देव जयंती को प्रकाश पर्व क्यों कहा जाता है।
क्या है प्रकाश पर्व
गुरु नानक देव ने अपना पूरा जीवन समाज को सुधारने में समर्पित कर दिया। उन्होंने भेद-भाव, जात-पात को मिटाने के लिए कड़ी मेहनत की थी। गुरु नानक देव ने एकता के नाम पर लोगों को जोड़े रखने के उपदेश भी दिए। नानक साहब ने समाज में कुरीतियों को मिटाकर प्रकाश फैलाने का काम किया। इसी वजह से गुरु नानक देव की जयंती हर साल “प्रकाश पर्व” के रूप में मनाई जाती है।
आज के दिन का विशेष महत्त्व
गुरु नानक देव सिख धर्म के संस्थापक थे। उनकी मां का नाम तृप्ता था और पिता का नाम कल्याण चंद्र था। पंजाब के तलवंडी में 1469 जन्मे नानक साहिब ने समाज को एकता के सूत्र में बांधा, पंजाब के तलवंडी जो आज पाकिस्तान में स्थित है और ननकाना साहिब के नाम से लोकप्रिय है। सिख धर्म में गुरु नानक देव की जयंती का विशेष महत्व है। इस धर्म के अनुयायी गुरु नानक देव के आगे मत्था टेकते हैं। हर साल यह जयंती कार्तिक पूर्णिमा पर मनाई जाती है।
गंगा में लगाते हैं डुबकी
प्रकाश पर्व के मौक़े पर गुरुद्वारों की विशेष सजावट की जाती है। इस दिन लोग गुरुद्वारे आते हैं और मत्था टेकते हैं। गुरु नानक जयंती के ख़ास अवसर पर लोग गुरुद्वारों में जाकर शीश झुकाते हैं। मान्यता है कि कई लोग गंगा में डुबकी भी लगाते हैं। साल के सबसे बड़े त्योहार दीपावली के ठीक 15 दिनों के बाद गुरुनानक जयंती मनाई जाती है।