लोकसभा चुनाव के लिए तेलंगाना पर टिकी कांग्रेस, भाजपा और बीआरएस के नजर

हैदराबाद। अपनी गारंटियों के दम पर कांग्रेस ने राज्य के गठन के बाद पहली बार तेलंगाना में अपनी सत्ता स्थापित करने में सफलता पाई है, लेकिन अब आगामी लोकसभा चुनाव में भी पार्टी अपना दम रख पाती है या नहीं यह सबसे बड़ा सवाल बनकर सामने आ रहा है।

कांग्रेस के लिए पैठ बनाकर रखना बड़ी चुनौती
दरअसल, कांग्रेस ने 2023 में शक्तिशाली बीआरएस को मात देकर तेलंगाना में अपनी पहली सरकार बनाई है। वहीं, मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी ने कहा है कि वह अपना काम पूरा करेंगे और पार्टी इसी गति से काम करते हुए लोकसभा चुनाव में भी विजयी होगी।

राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में मात खाने वाली पार्टी के तेलंगाना में सफल प्रदर्शन के बाद रेड्डी को यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि कांग्रेस को मजबूत करने के लिए लोकसभा चुनाव में 17 क्षेत्रों में से अधिक से अधिक सीटें मिलें।

भाजपा और बीआरएस के बीच होगी टक्कर
लोकसभा चुनाव के.चंद्रशेखर राव के नेतृत्व वाली भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) और भाजपा के लिए भी समान रूप से महत्वपूर्ण हैं। बीआरएस 2023 विधानसभा चुनाव का पासा पलटने की कोशिश करेगी, वहीं भाजपा दक्षिण में बेहतर प्रदर्शन करने की अपनी योजना के तहत राज्य में और अधिक पैठ बनाने का लक्ष्य रखेगी। 2019 के चुनावों में, बीआरएस ने 9 सीटें जीतीं, बीजेपी ने चार और कांग्रेस ने 3 सीटें जीती थीं। बीआरएस की सहयोगी एआईएमआईएम को एक सीट मिली थी।

चुनावी गारंटी पूरा कर रही कांग्रेस
दिसंबर 2023 में सत्ता में आने के तुरंत बाद, कांग्रेस सरकार ने राज्य द्वारा संचालित आरटीसी बसों में महिलाओं के लिए मुफ्त यात्रा और गरीबों के लिए 10 लाख रुपये की स्वास्थ्य योजना के कार्यान्वयन की घोषणा की थी, जो कांग्रेस की छह चुनावी ‘गारंटी’ का हिस्सा हैं। हालांकि, कुछ गारंटियों को पूरा करने के लिए भारी वित्तीय लागत की आवश्यकता है, जो नए साल के बाद पूरा करने की कोशिश रहेगी।

बीआरएस के लिए भाजपा भी बन रही फांस
विधानसभा चुनावों से पहले कुछ उप-चुनावों और ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनावों में जीत हासिल करने के बाद भाजपा एक समय बीआरएस के लिए एक प्रमुख चुनौती बनकर उभरी थी, क्योंकि भाजपा का वोट शेयर दोगुना होकर लगभग 14 प्रतिशत हो गया।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 28 दिसंबर को तेलंगाना का दौरा किया था। उन्होंने पार्टी के लिए 2024 के लोकसभा चुनावों में राज्य में कम से कम 10 सीटें जीतने और 35 प्रतिशत वोट शेयर हासिल करने का लक्ष्य रखा है।

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