दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति में अक्टूबर के बाद पहली बार लगातार सुधार देखने को मिला है आज लगातार तीसरे दिन दिल्ली की हवा “मध्यम” यानी “मॉडरेट” कैटेगरी में बनी हुई है आज सुबह 7 बजे सीपीसीबी की बुलेटिन के मुताबिक, AQI 186 दर्ज किया गया यह स्थिति हवाओं की तेज़ी के कारण मुमकिन हो पाई है हवा 10 से 20 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही है, जिससे प्रदूषक तत्व फैलकर वातावरण में कम हो रहे हैं
दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति में ऐसा बदलाव 52 दिनों बाद देखने को मिल रहा है. पिछले साल की तुलना में इस साल दिल्ली की हवा दिसंबर के महीने में साफ़ है जबकि नवंबर पिछले 7 सालों में सबसे प्रदूषित था आखिरी बार 12 अक्टूबर को AQI 155 था इसके बाद AQI में काफी वृद्धि देखी गई और 3 दिसंबर तक यह लगातार 200 से ऊपर रहा
हालांकि, 7 तारीख से पहाड़ों पर एक वेस्टर्न डिस्टरबेंस सक्रिय होने जा रहा है, जिसके कारण हवा की रफ्तार और दिशा में फिर से परिवर्तन हो सकता है. इसके बाद ठंड में भी इजाफा देखने को मिलेगा. ऐसे में दिल्ली की प्रदूषण स्थिति में फिर से बदलाव आ सकता है इस साल की तुलना में, पिछले साल 2022 में दिसंबर के शुरुआती दो हफ्तों के बाद ही हवा की गुणवत्ता में सुधार देखा गया था. 14 दिसंबर 2022 को AQI 163 दर्ज किया गया था
यह देखा गया है कि दिल्ली की हवा की गुणवत्ता में सुधार हवा की दिशा और रफ्तार के कारण हुआ है और आने वाले दिनों में इसमें और अधिक परिवर्तन होने की संभावना है.
कैसे मापी जाती है एयर क्वालिटी?
अगर किसी क्षेत्र का AQI जीरो से 50 के बीच है तो AQI ‘अच्छा’ माना जाता है, 51 से 100 AQI होने पर ‘संतोषजनक’, 101 से 200 के बीच ‘मध्यम’माना जाता है, अगर किसी जगह का AQI 201 से 300 के बीच हो तो उस क्षेत्र का AQI ‘खराब’ माना जाता है अगर AQI 301 से 400 के बीच हो तो ‘बहुत खराब’ और 401 से 500 के बीच AQI होने पर ‘गंभीर’ श्रेणी में माना जाता है वायु प्रदूषण से कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं इसी के आधार पर दिल्ली-एनसीआर में ग्रैप श्रेणी की पाबंदियां लगाई जाती हैं दिल्ली में फिलहाल ग्रैप के स्टेज 1 और 2 की पाबंदियां लागू हैं