नई दिल्ली। बचपन से ही यह बच्चा मुंबई जाने के सपने देखता, फिल्मी पोस्टर को निहारता, हीरो बनने के ख्वाब बनता और फिर एक दिन ख्वाबों को हकीकत में तब्दील करने घर से कोसो दूर माया नगरी पहुंचता. ये कोई और नहीं इंडियन सिनेमा के हीमैन धर्मेंद्र थे. धर्मेद्र ने जब दिलीप कुमार की फ़िल्में देखी और वे उनके दिवाने हो गए. इस तरह दिलीप कुमार ने ही युवा धर्मेंद्र को फिल्मों में काम करने के लिए मोटिवेट किया था.
दिलीप कुमार के थे दिवाने
वो बचपन से ही दिलीप कुमार की तरह बनना चाहते थे. उन्होंने एक बार सोशल मीडिया पर एक फोटो शेयर करे हुए कैप्शन में लिखा था कि, ‘नौकरी करता, साइकिल पर आता जाता, फिल्मी पोस्टर में अपनी झलक देखता, रातों को जागता, ख्वाब देखता, सुबह उठकर आईने से पूछता, मैं दिलीप कुमार बन सकता हूं क्या.
पढ़ाई के लिए पड़ती थी डांट
धर्मेंद्र जालंधर के सोहनेवाल गांव में मिडिल क्लास फैमिली से थे और उनके पिता एक स्कूल में टीचर थे जबकि धर्मेंद्र को पढ़ाई से नफरत थी. इस वजह से पढ़ाई ना करने के कारण स्कूल में काफी डांट खाते थे और कई बार तो पिता से भी काफी बातें सुनने को मिली.
पहली सैलरी सिर्फ 51 रुपये
धर्मेंद अपने मां के काफी करीब थे और मां के कहने पर उन्होंने फिल्म फेयर न्यू टैलेंट हंट में आवेदन भेजा था और यह अवार्ड जीत गए थे. इसके बाद डायरेक्टर की नजर उन पर पड़ी और उन्होंने अपनी पहली फिल्म की. इस फिल्म के लिए उन्हें 51 रुपये मिले थे.फूल और पत्थर से खुली किस्मत. फिल्मी सफर शुरू होने के बाद उनकी किस्मत ‘फूल और पत्थर’ फिल्म के हिट होने के साथ खुली. इस फिल्म में उनके अपोजिट में मीना कुमारी थीं.