- किसान भी अब नकदी फसलों की खेती की तरफ हो रहे हैं आकर्षित
लखनऊ- किसानों की आमदनी बढाने के लिए केंद्र एवं प्रदेश की सरकारें लगातार प्रयासरत है। किसान भी अब नकदी फसलों की खेती की तरफ आकर्षित हो रहे हैं।ऐसे में शिमला मिर्च की खेती बीकेटी, इटौंजा,माल,मलिहाबाद,मोहलालगंज, गोसाईगंज सहित किसानों के लिए लाभदायक साबित हो सकती है। शिमला मिर्च की खेती वर्ष में 3 बार की जा सकती है।बीकेटी स्थित चन्द्रभानु गुप्त कृषि स्नातकोत्तर महाविद्यालय के कृषि विशेषज्ञ डा. सत्येंद्र कुमार सिंह ने शिमला मिर्च की खेती के तरीके और उसकी उन्नतशील किस्मों के बारे में राष्ट्रीय हिन्दी दैनिक निष्पक्ष प्रतिदिन से गुरुवार को बातचीत करते हुए बताया कि लखनऊ जिले में आठों विकासखंडों में की जा रही है।
उन्होंने बताया कि लखनऊ में इसकी खेती के लिए नर्म आर्द्र जलवायु को अच्छा माना जाता है। क्योंकि शिमला मिर्च के पौधे आर्द्र और कम गर्म जलवायु में अच्छे से विकसित होते हैं। वहीं, इसकी फसल को पकाने के लिए शुष्क जलवायु को बेहतर माना जाता है। वहीं शिमला मिर्च की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी अच्छी होती है। जिसमें कार्बनिक पदार्थ अच्छी मात्रा में मौजूद होते हैं और जल निकासी भी बेहतर होती है।जिसमें शिमला मिर्च की खेती से अच्छी उपज ली जा सकती है।
अंकुरण के लिए तापमान 16-29 डिग्री सेल्सियस
डा.श्री सिंह ने बताया कि शिमला मिर्च के बीज के अंकुरण के लिए 16-29 डिग्री सेल्सियस, पौधे की अच्छी बढ़त के लिए 21-27 डिग्री सेल्सियस और फलों के उचित विकास और परिपक्वता के लिए 32 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा तापमान होना चाहिए।
खेती का समय: जुलाई से अगस्त, सितंबर से अक्टूबर और दिसंबर से जनवरी
शिमला मिर्च की खेती साल में 3 बार की जा सकती है। इसकी पहली बुआई जून से जुलाई तक, दूसरी बुआई अगस्त से सितंबर और तीसरी बुआई नवंबर से दिसंबर में भी की जा सकती है। इसके बीज बोने के बाद, उससे निकलने वाले पौधे की रोपाई की जाती है। जिसका अच्छा समय जुलाई से अगस्त, सितंबर से अक्टूबर और दिसंबर से जनवरी होता है।हमारे देश में मौसम के अनुसार शिमला मिर्च की खेती वर्ष में 3 बार की जा सकती है।
खेती की तैयारी
शिमला मिर्च के पौधों की रोपाई से पहले खेत को अच्छे से 5-6 बार जुताई करें। जुताई के पहले खेत में गोबर की खाद को अच्छी तरह से मिला लें। उसके बाद खेत में 90 सेमी चौड़ी क्यारियां बना लें। इसके एक पौधे की रोपाई, दूसरे पौधे से लगभग 45 सेमी की दूरी पर करें। एक क्यारी में पौधों की केवल दो कतारें ही लगाएं।
शिमला मिर्च की उन्नतशील किस्में
बॉम्बे (रेड शिमला मिर्च)- शिमला मिर्च की यह किस्म जल्दी तैयार हो जाती है। इसके पौधे लंबे, मज़बूत होते हैं जबकि शाखाएं फैली हुई होती है। यह किस्म छायादार जगह में अच्छी तरह विकसित होती है। पहले इस मिर्च का रंग गहरा हरा होता है, लेकिन पकने के बाद यह लाल रंग का हो जाता है। इसकी ख़ासियत यह है कि यह जल्दी खराब नहीं होता।
ओरोबेल (यलो शिमला मिर्च)
शिमला मिर्च की यह किस्म ठंडे मौसम में अच्छी तरह विकसित होती है। इसके फलों का रंग पकने के बाद पीला हो जाता है और इसका वज़न करीब 150 ग्राम होता है। इस किस्म में जल्दी बीमारियां नहीं पकड़ती और यह किस्म ग्रीन हाउस और खुले खेत दोनों में ही विकसित की जा सकती है।
अर्का गौरव
इस किस्म की शिमला मिर्च के पत्ते पीले और हरे होते हैं और फल मोटे गूदे वाला होता है। एक फल का औसतन वजन 130-150 ग्राम तक होता है। पकने के बाद फल का रंग नारंगी या हल्का पीला हो जाता है। यह किस्म 150 दिनों में तैयार हो जाती है और प्रति हेक्टेयर औसत उत्पादन 16 टन होता है।
यलो वंडर
इस किस्म की शिमला मिर्च के पौधे मध्यम उंचाई वाले और पत्ते चौड़े होते हैं। इसके फल गहरे हरे रंग के होते हैं, जिसके ऊपर 3-4 उभार होता है। औसत उपज क्षमता 120-140 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।
सोलन हाइब्रिड 2
अधिक उपज वाली यह हाइब्रिड किस्म हैं, जिसके फल 60 से 65 दिनों में तैयार हो जाते है। इसके पौधे ऊंचे और फल चौकोर होते हैं। यह किस्म सड़न रोग और जीवाणु रोग से सुरक्षित रहती है। औसतन उपज क्षमता 325-375 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।
कैलिफोर्निया वंडर
इस किस्म की शिमला मिर्च के पौधे मध्यम ऊंचाई वाले होते हैं। यह किस्म काफ़ी लोकप्रिय है और पैदावार भी अच्छी देती है। इसके फल गहरे हरे रंग के और चमकदार होते हैं। फलों का छिलका मोटा होता है। 75 दिन में फसल तोड़ने लायक हो जाती है। इसकी औसत उपज क्षमता 125-150 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।
लागत और कमाई
एक एकड़ में जमीन पर शिमला मिर्च की खेती करने का खर्च लगभग 4.26 लाख हो सकता है। जिसमें लगभग 15 हजार किलोग्राम शिमला मिर्च की खेती की जा सकती है। चूंकि शिमला मिर्च की औसत बिक्री दर 50 रुपए प्रति किलोग्राम रहती है। इस हिसाब से 15 हजार किलोग्राम शिमला मिर्च की बिक्री से प्राप्त होने वाली राशि होगी 7 लाख 50 हजार। अब इसमें से खर्चे या लागत को निकाल दिया जाए तो एक एकड़ भूमि पर शिमला मिर्च की खेती करके लगभग 3 से 3.50 लाख रुपए तक का मुनाफा कमाया जा सकता है।
सिंचाई और उर्वरक प्रबंधन
शिमला मिर्च की खेत तैयार करते समय उसमें लगभग 25 से 30 टन गोबर की सड़ी खाद को मिला लें। उर्वरकों का प्रयोग करने से पहले कृषि विशेषज्ञों से एक बार जरूर सलाह ले लें। शिमला मिर्च की फसल को ज्यादा और कम पानी दोनों से नुकसान हो सकता है। इसलिए यदि मिट्टी में नमी कम हो तो उसकी तुरंत सिंचाई और पानी का भराव ज्यादा होने पर उसके निकास की व्यवस्था भी तुरंत करनी चाहिए। शिमला मिर्च की फसल की सिंचाई आमतौर पर गर्मी के दिनों में एक सप्ताह और शीत के दिनों में 10 से 15 दिनों में करनी चाहिए।
विटामिन सी, ए और बीटा कैरोटीन की भरपूर मात्रा
शिमला मिर्च एक ऐसी सब्ज़ी है, जिसकी मांग पिछले कुछ समय में बहुत बढ़ी है। चाइनीज़ व्यंजन तो शिमला मिर्च के बिना अधूरे हैं। इसके अलावा सलाद के रूप में भी लोग शिमला मिर्च खाना पसंद करते हैं। इसमें विटामिन सी, ए और बीटा कैरोटीन की भरपूर मात्रा होती है। इसलिए लोग इसे किसी न किसी रूप में अपनी डाइट में ज़रूर शामिल करते हैं। शिमला मिर्च की बढ़ती मांग को देखते हुए यह किसानों के लिए मुनाफ़े का सौदा साबित हो सकती है। देश के वैज्ञानिक शिमला मिर्च की उन्नत किस्में विकसित करते रहे हैं, जिससे किसानों को अधिक लाभ मिले।