सरकारी पशु चिकित्सालय परिसर में पड़ी गाय दम तोड़ती रही नदारद रहा पूरा स्टाफ..

•डॉक्टर फार्मासिस्ट और स्टाफ का रोना रोते हुए मुख्य चिकित्सक बोले हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं।।

गोण्डा । देवीपाटन मंडल मुख्यालय जनपद गोंडा में शहर के मध्य स्थित राजकीय पशु चिकित्सालय परिसर में कल दिन भर एक गाय मरणासन्न अवस्था में पड़ी रही और पूरे चिकित्सालय परिसर में सन्नाटा पसरा रहा। अधिकारी कर्मचारी गायब दिखे। जहां वह गाय दम तोड़ती रही वहीं चिकित्सालय में ताला पड़ा रहा। मजे की बात तो यह है कि इस विषय पर जब मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि इसकी हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं है।।


जी हां यह चौंकाने वाला समाचार उस देवीपाटन मंडल के मुख्यालय जनपद गोंडा से है जिस देवीपाटन मंडल में मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी का एक प्रमुख मठ देवीपाटन शक्तिपीठ स्थापित है। इसी शक्तिपीठ के नाम पर इस मंडल का नाम देवीपाटन मंडल हुआ है। पूरे प्रदेश नहीं पूरे देश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ परम गौभक्त, गौसेवक और गोपालक के रूप में सिद्ध प्रसिद्ध हैं। इस देवीपाटन मंडल के मुख्यालय जनपद गोंडा में स्थित पशु चिकित्सालय का यह हाल है कि एक गाय दिनभर इस चिकित्सालय परिसर में लावारिस पड़ी रही। मंद मंद उसकी सांसे चलती रहीं और मक्खियां उसपर भिनभिनाती रही किंतु कोई दिखा नहीं तो वह था इसकी चिकित्सा करने वाला कोई चिकित्सक या स्टाफ। चिकित्सालय का चैनल बंद था और ताला लटक रहा था। इस पूरे प्रकरण पर जब जनपद के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी ठाकुर जी पांडेय से बात की गई तो वह जनपद भर के 36 उप पशुचिकित्सा केंद्रों के बारे में बताते हुए चिकित्सकों और स्टाफ के टोटा का रोना रोते हुए बोले कि इसकी हमारी कोई जिम्मेदारी ही नहीं है। गाय की आपातकालीन चिकित्सा व्यवस्था के बारे में बताने के बजाय श्री पांडेय जनपद भर में स्टाफ की कमी का रोना ही रोने लगे। उन्होंने बताया कि जनपद भर में 36 अप पशु चिकित्सालय हैं। जिसमें से कुछ एक तो केवल चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के बल पर ही चल रहे हैं। वह बोले की सदर पशु चिकित्सालय के फार्मासिस्ट उपाध्याय जल्दी ही रिटायर होने वाले हैं। उसके बाद यहां भी कोई नहीं बचेगा। उन्होंने चिकित्सालय पर किसी इमरजेंसी व्यवस्था का ना होना बताते हुए भी यह बताया कि यदि आकस्मिक रूप से किसी भी समय कोई पशु आ जाए तो उसे चिकित्सा सेवा दी जाएगी, हालांकि एक ही चिकित्सक है। उन्होंने यह भी बताया कि जिस तरह वहां पर गाय पड़ी हुई है उसके लिए कोई जिम्मेदार नहीं है और ना ही इतना स्टाफ है कि उस पड़ी हुई गाय पर से मक्खी हटाए। उन्होंने कहा कि जनपद भर में कुल 36 पशु चिकित्सालय हैं जिसमें मात्र 18 चिकित्सक पदस्थ हैं। वह बोले कि 18 डॉक्टर का विगत वर्ष और इस वर्ष मिलाकर ट्रांसफर हो चुका है। 111 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के पद हैं, जो जनपद में होने चाहिए। इसके सापेक्ष मात्र 39 ही कर्मचारी वर्तमान में हैं। जिसमें 6 महिलाएं हैं, जो कि कार्यालय वगैरह में काम करती हैं।

डा० पांडेय ने यह भी स्वीकार किया कि कुछ ऐसे पशु चिकित्सालय हैं जो मात्र चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के ही बल पर चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि जो हमारे जनपद में 36 पशु चिकित्सालय हैं उसके लिए 36 फार्मासिस्ट होने चाहिएं, जिसमें से मात्र १८ ही हैं, उसमें से भी कुछ फार्मासिस्ट 31 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं। दम तोड़ती गाय के प्रति अपने दायित्व पर लीपापोती करते हुए इतनी सारी बातें तो डॉक्टर ठाकुर जी पांडेय ने बताई, किंतु यह कहकर उन्होंने फोन कॉल काट दी कि विधायक जी का फोन आ रहा है अब आपसे हम बात नहीं करेंगे। तो यह है पशु चिकित्सा विभाग के जनपद स्तरीय सर्वोच्च अधिकारी की जिम्मेदारी का पटाक्षेप। अब ऐसे में सोचा जा सकता है कि मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी के सिद्धांतों, आदेशों, निर्देशों और उनके सपनों का पालन उनके मातहत कितने मनोयोग से कर रहे हैं। अब देखना यह होगा कि इस खबर पर सरकार जनपद गोंडा के पशु चिकित्सा विभाग के जिम्मेदारों के संग कैसा रवैया अपनाती है।

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