गर्म मौसम में बचाव के बताए गए तौर तरीके
बाँदा| बढ़ते तापमान के खतरों से बच्चे व बूढ़ों को बचना चाहिए तथा मर रहें पक्षियों एवं जलीय जीव जंतुओं के प्रति भी जागरुक होकर खुद पर्यावरण संरक्षक बनें|50 डिग्री में जीव-जन्तुओं की होगी मृत्यु फसल चक्र होगा प्रभावित,बढ़ते तापमान पर एक चर्चा मीडिया द्वारा किया गया,जिसमें नरैनी के डा.रमाकान्त द्विवेदी वरिष्ठ प्राध्यापक भूगोल सीताराम समर्पण महाविद्मालय नरैनी ने बताया,कि इन दिनों यका-यक ताममान बढ़ता जा रहा है,भारत मे यह ग्रीष्मकालीन गर्म हवायें चलती है,जिसे स्थानीय भाषा में लू कहते है जो अत्यन्त गर्म रहती है पर इस समय खास तौर पर बुन्देलखण्ड प्रदेश में विगत दिन देश में सर्वाधिक तापमान 49 डिग्री के पास अंकित किया गया|
हमारे संतुलित तापमान के लिये 33 प्रतिशत भूभाग पर सघन वृक्षावरण होना चहिये,पर ऐसा नही है,यह परिणाम आज का नही है बल्की मानव विकास ही है जिसमें जनसंख्या वृद्धि नगरीयकरण औद्मोगीकरण वन विनाश ने बढ़ते तापमान को जन्म दिया है, भीषण गर्मी को देखते हुये लोगो को सजग किया जा सकता है,हमारे देश की अधिकांश जनसंख्या गरीब वर्ग है,जिसकी आर्थिक स्थित ठीक न होने के कारण वह रोज मर्रा के लिये खुले स्थानों में मजदूरी करने को मजबूर है धनाड्य वर्ग इस बढ़ते तापमान में अपने को सुरक्षित रख सकता है,जैसे- जीव-जन्तुओं में मनुष्य अपनी सुरक्षा कर सकता है,पर मनुष्य के अलावा बचे जीव-जन्तुओं का जीवन आज संकट में है,यदि इसी तरह तापमान बढ़ते बढ़ते 50 डिग्री सेल्सियस होता है तो पक्षियों और जलीय जीवों की मृत्यु देखी जा सकती है,जिसके जिम्मेदार मानव समुदाय ही होगा।
अब हमारी जिम्मेदारी क्या बने इसे सोंचना होगा हम सब की जिम्मेदारी बने कि हम अपने आस-पास खाली पड़े भू-भाग पर वृक्षारोपड़ और जल संरक्षण का संकल्प हो भौतिकवादी जीवन शैली को अंकुश में लाना होगा कृषि में जायद की फसल में वृद्धी करनी होगी तभी हम बढ़ते तापमान पर अंश मात्र का प्रयास ही कर सकते है।इसी क्रम में अंजली तिवारी बीएससी नर्सिंग कौशल केन्द्र अतर्रा पैरामेडिकल वोकेशनल इंस्टीट्यूट और अपोलो टेलीक्लीनिक शाखा नरैनी बताती है,कि इस गर्मी में अपने आपको सुरक्षित कैसे रखे और गर्म ताप व हवा से बचे सुरक्षित रहे,तिवारी बताती हैं कि रोजमर्रा के कार्य सुबह दस बजे के पहले कर लें,फिर शाम शाम 6 बजे से आगे तक कर सकते है इस बीच खाली पेट न रहे हल्का भोजन लें ज्यादा से ज्यादा पानी सामान्य ठण्डा ले सकते है,घर का बना ओआरएस का भी प्रयोग करते रहे कच्चे आम का शरबत ले सकते है,यदि बाहर निकलना पड़े तो सूती कपड़े पहने सर पर मोटी सूती साफी का प्रयोग करें कान को बांधें नंगे पैर या स्लीपर चप्पल के स्थान पर जूते का प्रयोग करे सुबह 10 से शाम छ बजे तक बंद घरों में रहे लू बुखार होने पर छाव में रहे शरीर को गीले कपड़े से शरीर को पोंछे़ और नजदीकी समुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र से चिकित्सा परामर्श प्राप्त करें।