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हमारे देश में भगवान शिव के कई चमत्कारी मंदिर हैं. ये मंदिर बड़े प्रचीन हैं. आज हम आपको भगवान शिव के एक ऐसे ही चमत्कारी मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं. भगवान शिव का ये मंदिर का अद्वितीय है. मंदिर में शिवलिंग है, जिसमें एक रहस्य छिपा हुआ है. तो चलिए जानते हैं कि भगवान शिव का ये मंदिर कहां हैं. मंदिर का नाम क्या है. साथ ही ये भी जानते हैं कि मंदिर के शिवलिंग में क्या रहस्य छिपा है?
वैजनाथ महादेव मंदिर
भगवान शिव का ये मंदिर वैजनाथ महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है. वैजनाथ महादेव मंदिर गुजरात के आनंद जिले के जितोदिया गांव के जितोदिया-मोगरी रोड पर बाहरी इलाके में स्थित है. कहा जाता है कि इस मंदिर पर मुगलों और अन्य लोगों ने कई बार हमला बोला है. मुख्य मंदिर के पास उन योद्धाओं की समाधि बनाई गई है, जिन्होंने मंदिर की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए.
शिवलिंग पर छोटे-छोटे छेद
वैजनाथ महादेव मंदिर अपने आप में बड़ा ही अनोखा है. बतााया जाता है कि ये देश ही नहीं दुनिया का इकलौता मंदिर है, जहां शिवलिंग पर छोटे-छोटे छेद हैं. यही नहीं इस शिवलिंग से लगातार जल रिसता रहता है. इस जल का स्त्रोत क्या है इसका पता वैज्ञानिकों और अन्य पुरातत्वविदों को आज भी नहीं चला है.
स्थानीय लोग मानते हैं शिव गंगा
वहीं पुराने लोगों का मानना है कि विलुफ्त हो चुकी सरस्वति नदी वैजनाथ महादेव मंदिर के नीचे बहती है. शिवलिंग से लगातार रिसने वाले जल को स्थानीय रूप में शिव की गंगा कहा जाता है. माना जाता है कि शिवलिंग से जल अनादि काल से बह रहा है. स्थानीय लोगों का मानना है कि शिवलिंग से रिसने या बहने वाला जल गंगाजल है. इस जल में कई बिमारियों को ठीक कर देने की शक्ति है. इस जल को प्रसाद रूप में लिया जाता है.
महाभारत काल से जुड़ी है मंदिर की कहानी
इस मंदिर की कथा महाभारत काल से जुड़ी बताई जाती है. ये मंदिर 11वीं शताब्दी से अस्तित्व में है, लेकिन ऐसी मान्यता है कि मंदिर में जो शिवलिंग है उसकी स्थापना महाभारत काल के समय पांडु के पुत्र भीम ने पूजा के लिए की थी. ये इलाका पूर्व हिंडबा वन के रूप में प्रसिद्ध था. समय के बीतने के साथ शिवलिंग भूमिगत हो गया.
राजा को सपने में दिए भगवान ने दिए आदेश
इसके बाद गुजरात में राजा सिद्धार्थ जयसिंह सोलंकी के शासन में इस वन क्षेत्र में खुदाई की गई और ये शिवंलिंग निकला. राजा ने वन से शिवलिंग को बाहर निकालने का आदेश दिया, लेकिन तमाम कोशिशों के बाद भी कोई इस शिवलिंग का आधार नहीं तलाश पाया. कहा जाता है कि इसके बाद भगवान राजा के सपने में आए और उन्हें इसी जगह मंदिर बनाने का आदेश दिया.