ईंट की चिमनियां बगैर सेटलिंग चेंबर के धड़ल्ले से की जा रहीं संचालित
संबंधित ईट भट्ठों पर प्रवासी मजदूरों में बाल मजदूरी को मिल रहा बढ़ावा
अटरिया सीतापुर। वैसे तो जिले में अवैध ईंट भट्ठे कई साल से जहर उगल रहे हैं। पर अटरिया क्षेत्र के कबरन गांव के पीछे रनुवापारा मार्ग से लगी कृषि योग्य भूमि क्षेत्र में बनाया गया शेखावत ईट भट्ठा प्रकृति ही नहीं कृषि योग्य भूमि को भी प्रभावित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है इतना ही नहीं क्षेत्र में संचालित ईट भट्टो पर बाल मजदूरी जैसे प्रकरण भी देखे जाते हैं बाहर से ले गए प्रवासी मजदूरों से बाल मजदूरी कराए जाने की चर्चाएं आम हो चुकी जिस पर मानवाधिकार एवं स्थानीय पुलिस प्रशासन भी नजर नहीं डालता है जानकारी के मुताबिक जनवरी से जून माह तक प्रत्येक वर्ष ऐसा खेल चलता है। दूसरे सालों की भांति हो-हल्ला भी मचेगा, लेकिन निरीक्षण, जांच, मामूली कार्रवाई तक मामला सिमटकर रह जाता है। कारोबारी धंधा छिपाने को औसतन ढाई लाख रुपये का बंदोबस्त किए हैं, जिसके मुताबिक पूरा खेल 20 करोड़ के इर्दगिर्द जाकर बैठेगा। हालांकि, अधिकारी ईमानदार प्रयास करते हैं, लेकिन भ्रष्टाचारियों का काकस उन्हें ऐसा करने नहीं देता। चूंकि अबकी अटरिया सहित जिला सीतापुर में प्रदूषण की स्थिति खराब है, ऐसे में अवैध ईंट भट्ठे जहर उगले तो हालात खतरनाक होंगे, अटरिया के शेखावत ईट भट्ठे सहित जिले में सैकड़ों अवैध ईट भट्ठे चल रहे हैं। इन लोगों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होने से अवैध ईट भट्ठों की संख्या बढ़ती जा रही है। इससे पर्यावरण तो प्रदूषित हो रही रहा है। साथ ही राजस्व को हो ने वाले आय का भी नुकसान हो रहा है। इट भट्ठा निर्माण के लिए सरकार द्वारा जारी किए गए मानक का जिले में कहीं भी पालन नहीं किया जा रहा है ।
विभाग भी केवल खानापूर्ति में लगी है। इट भट्ठा के लिए तय मानक के अनुरूप जिले में कार्य हो इसके लिए विभाग ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। जिसका परिणाम है की जिले के विभिन्न स्थानों पर स्थापित इट भट्ठा की चिमनी धुआ के रूप में जहर उगल रहे है। जिले मे लगभग डेढ़ सौ इट भट्ठे है। जिसमें कोई भी मानक के अनुरूप नहीं पाए जाते है।एक दशक पूर्व ईंट भट्ठे की चिमनियां लोहे की बनी होती थीं। प्रदूषण के दृष्टिगत ही सरकार ने ईंट की चिमनी बनाने का निर्देश दिया। इसे उपयोगी बनाने के लिए सेटलिंग चैंबर बनाना था। इसका डिजाइन ऐसा होता है कि गर्म गैस इसमें पहुंचकर ठंडी हो जाए। ऐसा होने पर कार्बन के कण नीचे बैठ जाएंगे और ठंडी गैस चिमनी के रास्ते वायुमंडल में जा पहुंचेगी। सेटलिंग चैंबर ही एक घनफुट एरिया में 750 (सस्पेंडेट पार्टिकुलेट मैटेरियल) कार्बन के कण ही निकलेंगे।बता दें अवैध ईट भट्ठों के मालिकों के द्वारा बड़ी ही चतुराई से आसपास के किसानों की कृषि योग्य भूमि को औने पौने दामों में अधिग्रहण कर उन पर मानक से ज्यादा खुदाई कर तालाब का रूप दे देते है जिसके बाद किसान उस भूमि पर कृषि नहीं कर पाते हैं ।
यह है ईट भट्टो के मानक
- 50 पेड़ के आम का बगीचा एवं ढाई एकड़ के बगीचा से एक किमी. दूर हो।
- ईट भट्ठा आबादी व नेशनल हाईवे से एक किमी., स्टेट हाईवे से 750 मीटर, लिंक रोड से 300 मीटर दूर हो।
- कृषि भूमि को औद्योगिक भूमि में भूमि में परिवर्तित कराकर ईंट भट्ठा लगाया जा सकता है।
- एक ईंट भट्ठे से दूसरे की दूरी पूरब-पश्चिम में 750 एवं उत्तर-दक्षिण में 500 मीटर होना चाहिए।