छठ पर्व के दौरान अपनी भावपूर्ण प्रस्तुतियों के लिए मशहूर लोक कलाकार शारदा सिन्हा का 72 साल की उम्र में नई दिल्ली के एम्स में निधन हो गया। वह 2018 से मल्टीपल मायलोमा नामक ब्लड कैंसर से जूझ रही थीं। सोमवार को उनकी तबीयत बिगड़ गई और उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था।
निष्पक्ष प्रतिदिन परिवार ने जताया दुख सुप्रसिद्ध लोक गायिका शारदा सिन्हा जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। उनके गाए मैथिली और भोजपुरी के लोकगीत पिछले कई दशकों से बेहद लोकप्रिय रहे हैं। आस्था के महापर्व छठ से जुड़े उनके सुमधुर गीतों की गूंज भी सदैव बनी रहेगी। उनका जाना संगीत जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों और प्रशंसकों के साथ हैं। ओम शांति!
प्रारंभिक जीवन
शारदा सिन्हा का जन्म 1 अक्टूबर, 1952 को बिहार के सुपौल जिले के हुलास में हुआ था। बिहार की कोयल यानी ‘बिहार कोकिला’ के नाम से मशहूर शारदा सिन्हा ने मैथिली लोकगीत गाकर अपनी संगीत यात्रा शुरू की थी। इलाहाबाद में प्रयाग संगीत समिति द्वारा आयोजित बसंत महोत्सव में उन्होंने वसंत के आगमन का जश्न मनाते हुए लोकगीत गाकर दर्शकों का मन मोह लिया। शारदा सिन्हा छठ पूजा के दौरान भी एक प्रमुख कलाकार रही हैं, जहाँ उनके गीत उत्सव का एक अभिन्न अंग बन गए हैं।
संगीत कैरियर
भोजपुरी, मैथिली, मगही और हिंदी में गायन के लिए जानी जाने वाली शारदा सिन्हा के गीत अपने गृह राज्य की परंपराओं में गहराई से निहित रहते हुए विविध श्रोताओं तक पहुँचे।
ईश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें एवं उनके परिवारजनों को संबल प्रदान करें।
ॐ शांति
शरद कुमार सिन्हा
समूह सम्पादक
हिंदी दैनिक, निष्पक्ष प्रतिदिन