जम्मू। लद्दाख को छठी अनुसूची और राज्य दर्जा देने के अलावा अन्य मांगों को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार गंभीर है। जल्द गृह मंत्रालय लद्दाख के लोगों को सशक्त बनाने की दिशा में फैसला कर सकता है। केंद्र सरकार से मिले आश्वासन के बाद लद्दाख भाजपा उत्साहित हैं।
इन सभी मांगों को लेकर कांग्रेस व कारगिल के संगठनों के एकजुट होने के बाद लगातार दो बार यह सीट जीतने वाली भाजपा को लोकसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है।
केंद्र ने लद्दाख में दो नए जिले बनाने, क्षेत्र के युवाओं को सेना में भर्ती होने के लिए लद्दाख स्काउट्स की एक और बटालियन का गठन, बोटी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने का मन बना लिया है।
लद्दाख भाजपा अध्यक्ष फुंचुक स्टेंजिन की दिल्ली में गृहमंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष, राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुग से हुई बैठकों में विश्वास दिलाया कि कारगिल हवाई अड्डे के निर्माण में तेजी लाने, नुबरा हवाई अड्डे पर नागरिक विमानों को उतरने की अनुमति मिल सकती है।
लेह, कारगिल की स्वायत्त पर्वतीय परिषदों को और ताकतवर बनाकर क्षेत्र के निवासियों के नौकरियों, भूमि अधिकारों को संरक्षित किया जा सकता है। इस बैठक में लद्दाख भाजपा अध्यक्ष के साथ लेह स्वायत्त पर्वतीय परिषद के मुख्य कार्यकारी पार्षद व लोकसभा चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार रहे ताशी ग्यालसन भी मौजूद रहे।
लद्दाख भाजपा के नेताओं ने बुधवार को लेह लौटने से पहले दिल्ली में राष्ट्रीय महासचिव व लद्दाख भाजपा के प्रभारी तरुण चुग से भी बैठक की। लद्दाख भाजपा अध्यक्ष फुंचुक स्टेंजिन ने बताया कि उन्होंने दिल्ली में गृहमंत्री व भाजपा नेतृत्व को लद्दाख के लोगों की उम्मीदों के बारे में जानकारी दी है। क्षेत्र के निवासियों के हितों के संरक्षण को लेकर जल्द कदम उठाए जाएंगे।
लद्दाख की मांग क्या है?
दरअसल, साल 2019 में जम्मू कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया गया था। इसमें पहला जम्मू-कश्मीर और दूसरा लद्दाख हैं। जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के तहत, लद्दाख बिना विधानसभा वाला केंद्रशासित प्रदेश बन गया। इसके साथ ही यहां के लोगों को मिलने वाला विशेष अधिकार भी खत्म हो गया। अब चार साल बाद लद्दाख के लोग अपनी मांगों को लेकर सड़क पर आ गए।
इन प्रमुख मांगों के लिए लद्दाख के लोग सड़कों पर उतरे
पहली मांग: पूर्वोत्तर राज्यों की तरह लद्दाख को भी संविधान की छठी अनुसूची में शामिल किया जाना
दूसरी मांग: लद्दाख को पूर्ण राज्य व आदिवासी दर्जा मिलना चाहिए
तीसरी मांग: लेह और कारगिल जिलों के लिए अलग संसदीय सीट हो
चौथी मांग: पब्लिक सर्विस कमीशन को लद्दाख में कायम रखा जाए
पांचवीं मांग: स्थानीय लोगों के लिए नौकरी में आरक्षण