हमारे तिरंगा के असली मायने और उससे जुड़ी खास बातें, जाने यहाँ…

नई दिल्ली। देश अपने 75वें गणतंत्र दिवस के लिए पूरी तरह से तैयार है। 26 जनवरी का दिन हर एक भारतीय के लिए बेहद खास है, क्योंकि साल 1950 में इस दिन भारत में संविधान लागू हुआ था। इस दिन के प्रतीक के रूप में हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाया जाता है। इस मौके पर हर कोई गर्व से भारतीय ध्वज को सलामी देता है। हमारा तिरंगा झंडा हर भारतीय नागरिक के लिए शान और सम्मान का प्रतीक है। ऐसे में गणतंत्र दिवस के मौके जानते हैं अपने तिरंगे से जुड़ी कुछ रोचक बातें-

भारतीय ध्वज के जुड़ी जरूरी बातें
तिरंगे में तीन रंग होने के कारण इसे तिरंगा कहा जाता है और इसके हर रंग का अपना महत्व है। केसरिया रंग शक्ति और आत्मविश्वास को दर्शाता है, सफेद रंग शांति का संदेश देता है, और हरा रंग संपन्नता और हरियाली का प्रतीक है।
बीच में मौजूद अशोक चक्र(धर्म चक्र) गतिशीलता को दर्शाता है। यह नीले रंग का होता है जिससे यह आकाश और पानी का प्रतीक कहलाता है।
यह चक्र अशोक की राजधानी के सारनाथ के शेर के स्‍तंभ पर बना हुआ है। इसका व्‍यास लगभग सफेद पट्टी की चौड़ाई के बराबर होता है और इसमें 24 तीलियां है।
तिरंगे की चौड़ाई और लंबाई का रेशियो 3:2 है। तीनों रंग एक ही नाप के होने चाहिए।
पहला भारतीय झंडा 7 अगस्त 1906 को कलकत्ता के पारसी बागान चौक पर फहराया गया था जिसमें गुलाब के फूल बने थे और वंदे मातरम् लिखा था। यह लाल, पीले और हरे रंग का था।
वर्तमान में जिस झंडे को हम फहराते हैं, उसे भारत की संविधान सभा ने राष्ट्रीय ध्वज के प्रारूप 22 जुलाई, 1947 को अपनाया था।
हमारे तिरंगे को आंध्र प्रदेश के स्वतंत्रता सेनानी पिंगली वेंकया ने 1921 में डिजाइन किया था।
तिरंगा हमेशा खादी, कॉटन या सिल्क का ही बना होना चाहिए।
हमारे देश के संविधान में फ्लैग कोड ऑफ इंडिया नाम का एक कानून है, जिसका उल्लंघन करने वाले को सजा का प्रावधान है।
तिरंगे को कमर के नीचे किसी परिधान के रूप में पहनना मना है।
भारतीय अपने वाहन पर तिरंगा नहीं फहरा सकते। साथ ही व्यवसायिक उद्देश्यों से भी इसका इस्तेमाल करना मना है।
तिरंगे को तोड़ना, मोड़ना, जलाना और जमीन पर फेंकना अपराध है।

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