उत्तराखंड के उत्तरकाशी में गुरुवार को भूकंप के झटके महसूस किए गए. रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 2.7 थी. इसका केंद्र जमीन से 5 किलोमीटर की गहराई में था. किसी तरह के नुकसान की कोई सूचना नहीं है. हालांकि, लगातार आ रहे भूकंप से लोगों में दहशत है. बताया जा रहा है कि 5 दिन में उत्तरकाशी में भूकंप का ये 8वां मामला है. इससे पहले 24 और 25 जनवरी को भी भूकंप के झटके महसूस किए गए थे.
भूकंप के लिहाज से उत्तराखंड बेहद संवेदनशील क्षेत्र है. साल 1991 में आए भूकंप ने बड़ी तबाही मचाई थी. ये संवेदनशील जोन 4 और 5 में आता है. यहां भूकंप के झटके सामान्य हैं. उत्तरकाशी में लगातार भूकंपों की घटनाओं ने लोगों को डरा रखा है.
भूकंप आने के कारण
धरती के नीचे मौजूद भूगर्भीय प्लेटें धीमी गति से घूमती रहती हैं. हर साल ये प्लेटें 4-5 मिमी तक अपनी जगह से खिसकती हैं. इस दौरान कुछ प्लेटें एक-दूसरे से दूर हो जाती हैं या खिसक जाती हैं. इस वजह से भूकंप आता है.भूकंप का केंद्र ही वो स्थान होता है जहां धरती के अंदर चट्टानें टूटती या टकराती हैं. इसे फोकस या हाइपोसेन्टर कहा जाता है.
यही स्थान प्रभावी होता है
भूकंप की ऊर्जा इस केंद्र से तरंगों के रूप में फैलती है. जब ये तरंगें धरती की सतह तक पहुंचती हैं, तो कंपन महसूस होता है. जहां यह ऊर्जा सतह को काटती है, उसको एपिसेंटर कहते हैं. यही स्थान भूकंप के सबसे नजदीक और प्रभावी होता है.
धरती की संरचना 7 भूखंडों में विभाजित है. जैसे भारतीय-ऑस्ट्रेलियाई भूखंड, उत्तर अमेरिकी भूखंड, और अफ्रीकी भूखंड. इन भूखंडों के नीचे की चट्टानें अत्यधिक दबाव में होती हैं. जब यह दबाव एक सीमा से अधिक हो जाता है, तो चट्टानें टूट जाती हैं और सालों से संचित ऊर्जा निकलती है.