मथुरा के कुंडों को साफ करने का जिम्मा टाटा ग्रुप और इस्कॉन ने लिया

मथुरा के ब्रज क्षेत्र के प्राचीन कुंड धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है, लेकिन इनकी स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है. इन कुंडो का सौंदर्यीकरण और पानी की गुणवत्ता को सुधारने के लिए ‘ब्रज तीर्थ विकास परिषद’ ने कई प्रयास किए हैं. हालांकि इसके बावजूद सुधार नहीं हो पाया है. अब इन कुंडों को साफ करने के लिए टाटा समूह और इस्कॉन संस्था ने अपनी मदद दी है.

ब्रज तीर्थ विकास परिषद के अधिकारी श्याम बहादुर सिंह ने बताया कि मथुरा के ब्रज क्षेत्र के 15 प्रमुख कुंडों का चयन किया गया है, जिनके जल की गुणवत्ता को बेहतर किया जाएगा. इन 15 कुंडों में से टाटा समूह ने आठ कुंडों और इस्कॉन ने सात कुंडों का जिम्मा लिया है. इन कुंडों में गोवर्धन के मानसी गंगा, राधाकुंड, कृष्ण कुंड जैसे प्रमुख कुंड शामिल हैं, जबकि इस्कॉन संस्था ने बरसाना के प्रिया कुंड, वृषभानु कुंड, व्हिक कुंड जैसे कुंडों को गोद लिया है.

288 प्राचीन कुंडों की स्थिति चिंताजनक
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (ISRO) के स्पेस डाटा के अनुसार, मथुरा जिले में कुल 2,052 जल निकाय हैं, जिनमें से 288 कुंड शामिल हैं. इस डाटा पर किए गए फील्ड सर्वे में 213 कुंडों की मौजूदगी पाई गई है, लेकिन अधिकांश कुंडों की स्थिति जीर्ण-शीर्ण है और इनका रख-रखाव ठीक से नहीं किया जा रहा है.

इन कुंडों का पानी अस्वच्छ और अप्रयुक्त है, जो न केवल स्थानीय श्रद्धालुओं बल्कि पर्यटकों के लिए भी चिंता का कारण बन रहा है. इन जल निकायों के पानी की गुणवत्ता को सुधारने और इनका सौंदर्यीकरण करने के लिए ब्रज तीर्थ विकास परिषद और निजी संस्थाएं मिलकर काम कर रही हैं.

मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण (एमवीडीए) ने भी ललिता कुंड, वृंदा कुंड और अन्य कुंडों के सौंदर्यीकरण का कार्य शुरू किया है. इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य इन कुंडों को पुनः जीवन देना और श्रद्धालुओं के लिए स्वच्छ जल उपलब्ध कराना है. इससे न केवल इन कुंडों का पुनरुद्धार होगा, बल्कि स्थानीय लोगों की आर्थिक स्थिति भी सुधरेगी. यह परियोजना ब्रज क्षेत्र के धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व को बढ़ाने में मदद करेगी और पर्यटकों के लिए एक बेहतर अनुभव सुनिश्चित करेगी.

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