बुलंदशहर। ‘कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों’ कवि दुष्यंत कुमार की लिखी इन पंक्तियों को बुलंदशहर के पवन कुमार ने चरितार्थ कर दिखाया है। मजदूरी करने वाले परिवार में पले-बढ़े पवन कुमार ने देश की सबसे बड़ी परीक्षा पास कर मिसाल कायम कर दी।
पवन कुमार ने यूपीएससी की परीक्षा में 239 वां स्थान हासिल किया है। पवन कुमार ने यह कामयाबी अपने तीसरे प्रयास में हासिल की है। परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत ही कमजोर रही, बावजूद इसके पवन ने कड़ी मेहनत कर सफलता हासिल कर ली, जो किया युवा वर्ग के लिए प्रेरणा बन गए हैं।
सेल्फ स्टडी से पाया मुकाम
पवन कुमार ने एएनआई को बताया कि यह मेरा तीसरा प्रयास था। मेरी सफलता में मेरे परिवार की बहुत बड़ी भूमिका थी, विशेषकर मेरे माता-पिता और मेरी बहनों की…। उन्होंने कहा कि परीक्षा कठिन है और पाठ्यक्रम बहुत बड़ा है, लेकिन इसे पास करना असंभव नहीं है। कोचिंग लेना जरूरी नहीं है।
पवन ने कहा कि मेरे परिवार की हालत ऐसी थी कि मैं इतनी महंगी कोचिंग क्लास नहीं खरीद सकता था। मैंने अधिकतर सेल्फ स्टडी किया… आप मदद के लिए इंटरनेट का उपयोग कर सकते हैं, और अपने प्रयासों में ईमानदारी के साथ आगे बढ़ सकते हैं।
पवन की माता सुमन देवी ने बेटे की सफलता पर खुशी जताई और कहा कि मुझे अच्छा लग रहा है कि हमें ये दिन देखने को मिला। हमारे पास एक छप्पर की छत है जो बारिश होने पर टपकती है। हमने एक मजदूर के रूप में कड़ी मेहनत की। वह (पवन) घर पर चुपचाप अपने मोबाइल फोन का उपयोग करके पढ़ाई करता था।
पिता मुकेश कुमार ने बताया कि हमने बच्चों को पढ़ाने के लिए अपने घर की स्थिति पर ध्यान नहीं दिया। हमारे घर में कई बार खाने के लिए राशन भी नहीं होता था। हम अक्सर भूखे ही सो जाते थे। भगवान ने अब हमें आशीर्वाद दिया है।
बहन गोल्डी ने बताया कि पवन को शांति माहौल पसंद था, उसने पढ़ाई के लिए डिबिया (कैरोसिन का दीया) से भी काम लिया। पवन की पढ़ाई के लिए मोबाइल की जरूरत थी, तो हमने उसे फोन दिलाया था।