अनीस मंसूरी की मांगे
उच्चतम न्यायलय संभल घटना की स्वतः हस्तक्षेप करे और निष्पक्ष जांच उच्चतम न्यायलय की निगरानी में हो।
संभल घटना में मारे गाये सभी मृतकों को कम से कम पचास पचास लाख का मुआवजा दे सरकार।
यह घटना नहीं बल्कि प्रशासन द्वारा की गयी हत्या है सरकार दोषी हत्यारों के विरुद्ध दण्डनात्मक कार्यवाही करे।
लखनऊ। सम्भल हिंसा को लेकर पसमांदा मुस्लिम समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री माननीय अनीस मंसूरी ने कई गंभीर सवाल उठाते हुए प्रशासन और भाजपा सरकार पर तीखे आरोप लगाए हैं। अनीस मंसूरी ने प्रशासन के कामकाज पर सवाल उठाते हुए कहा कि 19 नवंबर को शाम 4 बजे सर्वे का आदेश दिया गया, जो महज 2.5 घंटे बाद शाम 6.30 बजे शुरू हुआ और कुछ घंटों में ही पूरा कर लिया गया। इसके बावजूद, 24 नवंबर को डीएम द्वारा दोबारा सर्वे का आदेश किसके कहने पर और किस आधार पर दिया गया?
प्रशासनिक प्रक्रिया पर सवाल
अनीस मंसूरी ने कहा कि सर्वे का कार्य सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक ही कानूनन हो सकता है। ऐसे में 19 नवंबर को शाम 6.30 बजे सर्वे क्यों किया गया? 24 नवंबर को सुबह 7 बजे सर्वे शुरू होने का आदेश किस नियम के तहत दिया गया? उन्होंने प्रशासन पर बिना सभी पक्षों को सुने एकतरफा आदेश पारित करने का आरोप लगाया।
भाजपा सरकार पर तीखे हमले
अनीस मंसूरी ने भाजपा सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह सरकार नौजवानों को रोजगार देने के बजाय दंगे दे रही है, किसानों को उनकी फसलों का सही दाम देने के बजाय फसाद करा रही है, महिलाओं को महंगाई से राहत देने के बजाय उनकी ज़िंदगी को बर्बाद कर रही है। उन्होंने भाजपा पर बच्चों की शिक्षा में सुधार करने के बजाय बवाल फैलाने का आरोप लगाया।
पसमांदा मुस्लिम समुदाय पर असर
अनीस मंसूरी ने इस हिंसा में पसमांदा मुस्लिम समुदाय के तीन लोगों के मारे जाने की जानकारी दी। उन्होंने इसे बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा कि यह घटना सरकार की असफलता को उजागर करती है। मंसूरी ने यह भी सवाल उठाया कि हिंसा की जांच में निष्पक्षता सुनिश्चित किए बिना प्रशासन कैसे निर्णय ले सकता है?
शांतिपूर्ण समाधान की अपील
अनीस मंसूरी ने सभी पक्षों से संयम बरतने और शांति बनाए रखने की अपील की। उन्होंने कहा कि प्रशासन और सरकार को अपनी जिम्मेदारी समझते हुए सभी प्रभावित पक्षों को न्याय दिलाने के लिए निष्पक्ष जांच करनी चाहिए।
मंसूरी ने कहा कि यह घटना प्रशासनिक कार्यशैली पर सवाल खड़ा करती है, बल्कि भाजपा सरकार की नीतियों पर भी गंभीर आरोप लगाती है। सम्भल की हिंसा में मारे गए निर्दोष लोगों के लिए न्याय की मांग और पसमांदा मुस्लिम समुदाय के लिए उनके अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करना हमारी प्रमुख मांग है।