भारत की प्राचीन और समृद्ध सभ्यता में जल प्रबंधन की जड़ें सदियों पुरानी : धनखड़

जयपुर । उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि बांधों की सुरक्षा राष्ट्र की समृद्धि को सुनिश्चित करती है। बांध मानवता के लिए किसी वरदान से कम नहीं हैं। बांध ऐतिहासिक रूप से सामाजिक और आर्थिक समृद्धि का केंद्र बिन्दु रहे हैं। भारत की सभ्यता दुनिया की सबसे प्राचीन और समृद्ध है, यहां जल प्रबंधन की जड़ें सदियों पुरानी हैं।

राष्ट्रपति धनखड़ गुरुवार को जयपुर में बांध सुरक्षा पर आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने राष्ट्रीय जल मिशन के तहत विनायल रैपिंग की गई ट्रेन को जयपुर से वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। जी-20 की थीम ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जी-20 के सफल आयोजन ने पूरी दुनिया को हमारी महान सांस्कृतिक विरासत, सदियों पुरानी समृद्ध परंपरा और भारतीय संस्कृति के जीवन मूल्यों से परिचित कराया। आज पूरी दुनिया हमारा लोहा मान रही है।

उपराष्ट्रपति ने अपने संबोधन में आगे कहा कि बांध ऐतिहासिक रूप से पूरी दुनिया में सामाजिक और आर्थिक समृद्धि का केंद्र बिन्दु रहे है। बांध मानवता के लिए किसी वरदान से कम नहीं हैं, बांध समाज के लिए जल की उपलब्धता सुनिश्चित करते हैं, जिससे सिंचाई होती है, अनाज उगता है और पूरी मानवता का पेट भरता है।

धनखड़ ने खुद को कृषक पुत्र और ग्रामीण परिवेश का होने का जिक्र करते हुए कहा कि मुझे पानी का महत्व पता है कि किसान के लिए पानी की कीमत क्या होती है, ये मैं भलीभांति जानता हूं, उन्होंने कहा कि बांध हमें न सिर्फ बाढ़ जैसी विभीषिका से बचाते हैं, बल्कि लाखों लोगों के जीवन के साथ-साथ देश की अमूल्य संपत्ति की भी रक्षा करते हैं।

भारत की सभ्यता दुनिया की सबसे प्राचीन और समृद्ध सभ्यता है, हमारी सभ्यता पांच हजार सालों से भी अधिक प्राचीन है, हमारी सभ्यता नदियों के किनारे ही फली-भूली है। नदियों ने अपने जल से सभ्यता को सींचा है। आगे जोर देते हुए उन्होंने कहा कि भारत में जल प्रबंधन की जड़ें सदियों पुरानी हैं, भारती की सभ्यता में जल प्रबंधन के बेजोड़ उदाहरण उपलब्ध हैं।

अपनी इस यात्रा के दौरान उपराष्ट्रपति ने जल शक्ति मंत्रालय के राष्ट्रीय जल मिशन का संदेश प्रदान करने के उद्देश्य से कामाख्या एक्सप्रेस के विनायल रैपिंग किए गए रेक को वाराणसी स्टेशन पर जयपुर से वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।

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