निवेश के लिए जिलाधिकारियों की होगी ऋण बढ़ाने की जिम्मेदारी : मुख्य सचिव

-ग्लोबल इनवेस्टर समिट में

हुए 40 लाख करोड़ के एमओयू को धरातल पर उतारेंगे डीएम कमिश्नर

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में बेरोजगारों और उद्यमियों को कम ऋण मिलने पर सरकार चिंतित है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर जिलों में जिलाधकारी और मंडलायुक्तों को ऋण का फ्लो (क्रेडिट:डिपोजिट) बढ़ाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसके साथ ही उन्हें अपने जिले में निवेश को भी धरातल पर उतारना होगा। अधिकारियों को अपनी सालाना एसीआर रिपोर्ट में यह लिखना होगा कि बीते एक वर्ष में उनके प्रयास से जिले में कितना निवेश आया है।

मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने शुक्रवार को लोकभवन में पत्रकार वार्ता कर बताया कि प्रदेश सरकार राज्य में बड़े पैमाने पर औद्योगिक निवेश किए जाने व रोजगार सृजित किए जाने पर निरंतर प्रयासरत है। इसी दिशा में उत्तर प्रदेश औद्योगिक निवेश और रोजगार प्रोत्साहन नीति के साथ-साथ 25 सेक्टोरल पॉलिसी लॉन्च की गई। इन नीतियों में आकर्षक सुविधाएं उद्योगों के लिए उपलब्ध कराई जा रही हैं।

जिलाधकारी और मंडलायुक्त की रिपोर्ट के आधार पर जिलों में निवेश की पूरी जानकारी ली गयी है। योगी सरकार में पिछले साढ़े सात साल में साढ़े सात लाख लोगों को सरकारी नौकरी दी गयी है। ग्लोबल इन्वेस्टर समिट में 40 लाख करोड़ का निवेश आया है। इसमें डेढ़ करोड़ लोगों को नौकरी/रोजगार मिलने की उम्मीद है। सरकार चाहती है कि यह निवेश धरातल पर उतरे। इसके लिए अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की गई है।

उन्होंने कहा कि दोनों अधिकारियों(जिलाधिकारी और मंडलायुक्त) को बेहतर कार्य करने को कहा गया है। जिलाधिकारी अबतक उनके जिले में हुए एमओयू को धरातल पर उतारने का कार्य करेंगे। जिलों को लक्ष्य के सवाल पर उन्होंने बताया कि हर जिलाधिकारी के लिए उनके जिलों के हिसाब से अलग-अलग निवेश लाने का लक्ष्य रखा गया है। सालाना एसीआर में भी अधिकारियों की इस उपलब्धि को शामिल किया जाएगा। बेहतर प्रदर्शन करने वाले अधिकारी को प्रमोशन के सवाल पर मुख्य सचिव ने कहा कि अब तक तो नहीं था लेकिन अब इसे शामिल कर लिया जाएगा। अच्छा कार्य करने वाले अधिकारी को प्रोत्सान की व्यवस्था की जाएगी।

मुख्य सचिव ने कहा कि पारदर्शी औद्योगिक निवेश को प्रमोट करने के लिए राज्य की मौद्रिक नीति को मजबूती दी जानी आवश्यक है। पिछले कुछ समय में क्रेडिट:डिपोजिट में वृद्धि हुई है लेकिन इसे और भी बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि किसी भी प्रदेश की अर्थव्यवस्था के विकास के लिए पर्याप्त ऋण की उपलब्धता एक महत्वपूर्ण घटक है। ऋण का पर्याप्त प्रवाह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी भी जिलाधिकारियों को दी गयी है।

Related Articles

Back to top button