न्यूयार्क। पुर्तगाल के राष्ट्रपति मार्सेलो रेबेलो डी सूसा ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में भारत और ब्राजील की स्थायी सदस्यता का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि भारत और ब्राजील जैसे देशों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। इससे पहले तुर्किये के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने भी सुरक्षा परिषद के लिए भारत की दावेदारी को समर्थन किया। हालांकि एर्दोगन ने एक बार फिर कश्मीर का मुद्दा उठाया।
संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र को संबोधित करते हुए पुर्तगाल के राष्ट्रपति ने कहा कि पुर्तगाल ने भारत और ब्राजील जैसे देशों को स्थायी सदस्य बनाने का समर्थन दिया है और यह निर्णय होना चाहिए।
उन्होंने वित्तीय संस्थानों में सुधार का आह्वान किया और कहा कि ये संस्थाएं समानता और न्याय के साथ सतत विकास के लिए वित्तीय सहायता देने में अक्षम हैं। गरीब देशों पर अमीरों को प्राथमिकता मिलती है। उन्होंने कहा कि पुर्तगाल संयुक्त राष्ट्र के घोषणापत्र को सम्मान करता है।
पुर्तगाल जलवायु परिवर्तन के खिलाफ संघर्ष का समर्थन करता है और हरित ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए डीकार्बोनाइजेशन को आगे बढ़ाने का प्रयास कर रहा है। वैश्विक व्यवस्थाओं में सुधार का मुद्दा भारत और भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लगातार वैश्विक मंचों पर उठाते रहे हैं।
इससे पहले तुर्किये के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने भी सुरक्षा परिषद के लिए भारत की दावेदारी को समर्थन किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत जैसे देश को सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनाए जाने पर उनके देश को गर्व होगा।
हालांकि तुर्किये के राष्ट्रपति एर्दोगन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में एक बार फिर कश्मीर का मुद्दा उठाया है। इस दौरान उन्होंने कहा कि दक्षिण एशिया में शांति, स्थायित्व और समृद्धि के लिए कश्मीर के मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत व सहयोग जरूरी है। तुर्किये के राष्ट्रपति की यह टिप्पणी हाल ही में जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ दोनों देशों के बीच व्यापारिक और बुनियादी ढांचा संबंध मजबूत करने को लेकर हुई बातचीत के बाद आई है।