नई दिल्ली। संसद से विपक्षी सदस्यों के निलंबन के मुद्दे पर इन दिनों राजनीतिक माहौल गरमाया हुआ है। विपक्षी नेताओं की बयानबाजी के बीच भाजपा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री एसएस अहलूवालिया ने 1989 में 63 सांसदों के निलंबन की याद दिलाई है। इंदिरा गांधी की हत्या पर रिपोर्ट पेश करने की लगातार मांग करने के लिए इन सांसदों के खिलाफ कार्रवाई की गई थी। विपक्षी सांसदों के निलंबन मामले में सरकार पर निशाना साधने के लिए अहलूवालिया ने विपक्षी दलों की आलोचना भी की।
अहलूवालिया 1989 में राज्यसभा सदस्य थे। उन्होंने कहा कि विपक्ष ने सरकार पर हमला करने के लिए संसद की सुरक्षा में चूक को राष्ट्रीय सुरक्षा का गंभीर मुद्दा करार दिया है। उन्होंने हैरानी जताते हुए पूछा कि एक प्रधानमंत्री की हत्या से बड़ा राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा क्या हो सकता है? 63 विपक्षी सांसदों को निलंबित कर दिया गया, क्योंकि वे चाहते थे कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार ठक्कर आयोग की रिपोर्ट पेश करे।
बंगाल के बर्धमान-दुर्गापुर से भाजपा सांसद अहलूवालिया 1989 में कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य थे। जस्टिस ठक्कर आयोग ने इंदिरा गांधी हत्याकांड की जांच की थी। कांग्रेस और आइएनडीआइए के उसके सहयोगी मांग कर रहे हैं कि गृह मंत्री अमित शाह को 13 दिसंबर को दो लोगों द्वारा संसद की सुरक्षा में उल्लंघन को लेकर बयान देना चाहिए।