पुलिसवालन अस्पताल भेजत हैं, अऊ डाक्टर मुरदाघर। अब तक हमाए पिता का कोई पता नाय…

छह दिन होय गै पिता को खोजत। वय जिंदा हैं या मर गएओ, यऊ बताय वाला कोउ नाय। पुलिसवालन अस्पताल भेजत हैं, अऊ डाक्टर मुरदाघर। अब तक हमाए पिता का कोई पता नाय। कहां जाएं, का करयं।

मध्य प्रदेश के सागर के रहने वाले अशोक पटेल इतना कहते हुए फूट-फूट कर रोने लगे। वह उन लोगों में से हैं, जो मौनी अमावस्या के बाद से एक पल भी चैन की सांस नहीं ले सके हैं। हादसे वाली रात से गायक पिता की तलाश में वह सात दिन से अस्पताल से मोर्चरी और मोर्चरी से अस्पताल के चक्कर काट रहे हैं।

पिता की तलाश में छह दिन से भटक रहा बेटा
हर बीतते दिन के साथ अब पिता के मिलने की उम्मीदों के साथ उनकी खुद की हिम्मत भी जवाब देने लगी है। फिलहाल बची-कुची हिम्मत के सहारे वह अपने पिता को तलाशने में दिन रात एक किए हुए हैं।

साथ गए लोग आए, लेकिन नहीं लौटे पिता
अशोक मूलरूप से मध्य प्रदेश के सागर जिले के गुंजोरा गांव के रहने वाले हैं। उनके 60 वर्षीय पिता तिजई पटेल मौनी अमावस्या पर गांव के 10-15 लोगों के साथ स्नान के लिए संगम पहुंचे थे। अशोक बताते हैं अगले दिन साथ गए गांव के लोग लौट आए, लेकिन उनके पिता नहीं आए। पूछने पर बताया कि मौनी अमावस्या की रात संगम में हुए हादसे के बाद से वह लापता हैं।

बहुत खोजा लेकिन उनका कुछ पता नहीं चला। इसके बाद वह खुद एक रिश्तेदार के साथ यहां आकर पिता की तलाश में जुट गए। छह दिन बीत चुके हैं, लेकिन अब तक कुछ पता नहीं चल पाया है। अशोक कहते हैं कि उन्हें कुछ नहीं चाहिए। बस उनके पिता सही सलामत मिल जाएं। शासन प्रशासन से हाथ जोड़कर यही मिन्नत करते हैं कि पिता को ढूंढ़ने में उनकी मदद की जाए।

बिना कार्रवाई के शव ले जाने का दबाव बनाने का आरोप, पोस्ट वायरल
महाकुंभ से कई श्रद्धालुओं के लापता होने की खबरों के बीच बिहार निवासी महिला का शव बिना कार्रवाई के ले जाने का दबाव बनाने का आरोप भी लगा है। इस संबंध में एक एक्स हैंडल से किया गया पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। हालांकि, अमर उजाला इस तरह के किसी पोस्ट की पुष्टि नहीं करता है।

इस पोस्ट में दावा किया गया है कि 29 जनवरी को बिहार निवासी 52 वर्षीय सुनैना देवी सेक्टर 21 में हुए हादसे के बाद लापता हो गई थीं। पोस्ट में यह भी लिखा कि उनके बेटे नीतम पटेल ने आरोप लगाया कि काफी खोजबीन के बाद चार फरवरी को उसकी मां का शव मोती लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में मिला।

आरोप है कि वहां प्रशासन ने बिना किसी कार्रवाई के शव ले जाने की जबरदस्ती की, ताकि आधिकारिक मृतकों की सूची में उनका नाम शामिल न हो पाए। 30 मृतकों की सूची में उनका नाम शामिल भी नहीं है। हॉस्पिटल प्रशासन पर आरोप है कि बिना पोस्टमार्टम के ही शव ले जाने का दबाव बनाया गया। हालांकि, पोस्ट में लगाए गए आरोपों की पुष्टि नहीं हुई है।

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