चित्र से चिन्तन और जैसा चिंतन होगा वैसा ही चरित्र बनता है रवि

बदायूं । मेरी राम सेवा आश्रम पर मेरे राम मन्दिर में राम जी की प्राण प्रतिष्ठा के उपलक्ष्य में श्री राम कथा के चतुर्थ दिवस में श्री राम जन्म की कथा सुनाई गई कथा में आज चौथे दिन रवि जी समदर्शी महाराज संगीत में कथा सुना कर भक्तो को भाव विभोर कर दिया|
अयोध्या नाम का एक नगर है जहां के राजा दशरथ धर्म धुरंधर और गुणवान है और भगवान के प्रति सच्चा प्रेम है हर पल हर क्षण हर कार्य भगवान को समर्पित रखते हैं कई विबाहों के पश्चात भी जब उनकी कोई बालक नहीं हुआ| आज बुढ़ापे में यह सोच कर कि मेरा वंश कैसे चलेगा बहुत दुखी हुए रात भर नींद नहीं आई| प्रात उठकर ही गुरु के पास गए और हाथ जोड़कर चरणों में माथा रख दिया और वोले गुरुदेव आपके आशीष से मेरे पास सबकुछ हैं पर एक कमी महसूस होती मेरे कोई पुत्र नहीं है क्या मेरा वंश यहीं खत्म हो जाएगा गुरुदेव ने कहा आज तुम्हारे मन में लालसा जगी है| लाल मिलेंगे जरूर मिलेंगे और एक नहीं धैर्य रखो राजन चार चार बेटों के पिता बनोगे जब गुरुदेव ने श्रृंगी ऋषि को बुलाकर सरयू के किनारे 84 जड़ी बूटियों को से निर्मित विशेष सामग्री बनाई और विधि विधान से पुत्र कामना यज्ञ कराया जैसे ही यज्ञ पूर्ण मंत्र बोला गया, यज्ञ भगवान प्रकट हुए और उन्होंने खीर का प्रसाद दिया जो राजा ने दो रानियों को दिया केकई और कौशल्या दोनों ने अपने भाग में से थोड़ा-थोड़ा भाग सुमित्रा को दिया|

सुमित्रा ने भी संकल्प लिया और कह दिया मेरे दो पुत्र हुए तो एक मां कौशल्या के बेटे की सेवा में और एक मां कैकई के बेटे की सेवा में समर्पित कर दूंगी जिस दिन से भगवान गर्भ में लीला बस आए हैं सारी रिद्धि सिद्धियां अवध में आ गई सुख संपन्न आने लगी महारानी की सुंदरता और बढ़ गई है शोभा और सील का तेज चेहरे पर झलकता है कौशल्या मां हर समय नारायण का जाप करती हैं और सुंदर सुंदर भवन में चित्र लगाए गए हैं ऋषि मुनियों के दर्शन संतो के दर्शन कथा सुन और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करती हैं मनन सुमिरन और हवन में लगी रहती है , ब्रत पूजा अनुष्ठान समस्त नगरवासी करते हैं और कहते हैं हमारे समस्त पुण्य के फल स्वरुप हमारे राजा को एक संतान दे दो प्रभु चित्रों से मूर्तियों से प्रतिमाओं से चिंतन बनता है चिंतन से चरित्र बनता है और सुन्दर चरित्र से यस धन प्रतिष्ठा प्राप्त होती है|

गोस्वामी जी बताते हैं चैत्र का महीना है नवमी तिथि है मंगलवार का दिन है दोपहर का समय न सर्दी है ना गर्मी है मेरे रामजी का प्रिय अभिजीत मुहूर्त जो सबको शांति सुख और मर्यादा देने वाला होता है उसी मुहूर्त में ठीक 12:00 बजे चतुर्भुज भगवान प्रकट हो गए l मां कौशल्या ने बहुत प्रकार से पूजा अर्चना की उसके बाद कहां आप बेटे बनकर नहीं बाप जैसे बनकर आए कौन समझेगा यह मेरा बेटा भगवान बोले फिर क्या करना है कौशल्या जी बोली छोटा बनना पड़ेगा भगवान थोड़े छोटे हुए और छोटे हो भगवान और छोटे हो गए क्या और छोटे हो बोले जैसे तुरंत का बालक होता है ऐसे हो जाइए भगवान इतने छोटे गोदी में खेलने लगे तुम तो खेल रहे हो रोते क्यों नहीं मुझे भगवान बोले कोई दुख ही नहीं,भगवान वोले आप मां हो आप जैसे कहो और खूब चीख २ कर रोने लगे, दासियों के कान में भगवान के रोने की आवाज पहुंच गई, सारे नगर में प्रसन्नता छा गए दशरथ जी को जब पता चला तो एकदम ब्रह्मानंद में डूब गए और कहने लगे जिसका नाम सुनकर शुभ होता है आज वही ईश्वर मेरे घर आया है और सेवकों से कहा जाओ बाजे वालों को बुला लाओ बाजे बजने दो और जितना भी भंडार में था था सब लुटा दिया लेकिन आज जिनके कपड़े फटे हैं जिनके पास खाने को नहीं है जिनके पास अति गरीबी है वह भी लूटते तो हैं,पर खुद इस्तेमाल नहीं करते दूसरों को दे देते हैं कहते हैं हमें क्या करना हम तो भगवान के हैं और भगवान हमारे जिसने भी पाया अपने पास नहीं रहा|

आज अयोध्या नगरी ऐसी लग रही है इतनी सुंदर है जैसे भगवान के जन्म में कामदेव की पत्नी रति स्वयं अयोध्या रूप में उपस्थित है, लेकिन एक देवता दुखी है तीनों लोगों में सबके चेहरे पर प्रसन्नता है वह देवता कौन है वह है चंद्रमां भगवान सूर्य के समय में भगवान का जन्म हुआ और आनंद मंगल बधावा आदि में कब महीना निकल गया पता ही नहीं चला,सूर्य देव अपना रथ चलाना ही भूल गए, गोस्वामी जी कहते हैं तब भगवान ने चंद्रको रोता देखकर कहा हे चंद्रदेव परेशान मत हो हम द्वापर में कृष्ण के रूप में आएंगे, मेरे नाम के साथ तुम्हारा नाम भी चंद्र भी जोड़ा जाएगा, तब भी चंद नाराज रहे और अंत में उन्होंने कह दिया इस जीवन में भी मेरे नाम के साथ तुम्हारा नाम जुड़ेगा इसलिए भगवान का नाम रामचंद्र है भगवान भोलेनाथ पार्वती से कहते हैं देवी कि मेरे राम का चरित्र बुद्धिमानो को नहीं है, ये तो भक्ति का विषय हैl बुद्धिमान व्यक्ति तर्क खोजता है और भक्ति मान व्यक्ति भगवान को खोजता है l

विष्णु गुप्ता,महिंद्र सक्सेना एडवोकेट, ओमवीर यादव,राजकूमार शर्मा, सुरेन्द्र गुप्ता,विकास चौहान,नमन सैनी,राहुल अग्रवाल, मोहित प्रभाकर,अजयपाल यादव,उत्पल सक्सेना, दिव्यांस मिश्रा,अलंकार, अरविन्द शर्मा, संजीव वर्मा,विजय शर्मा,कमलेश मिश्रा मोना चौधरी दीपेश, अमर साहू सत्यम, लोकेंद्र प्रदीप,धमेंद्र सक्सेना अनुराधा सक्सेना,अर्चना चौहान,गजेंद्र पंत,शशांक,अंकित,लक्ष्मी गुप्ता गुड्डी गुप्ता,राखी साहू ,सौरभ,संजीव सक्सेना बाबू शाक्य आदि राम भक्त उपस्थित रहे l

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