बसपा व भीम आर्मी ने कलेक्ट्रेट पर किया प्रदर्शन

राष्ट्रपति को सम्बोधित ज्ञापन सिटी मजिस्ट्रेट को सौंपा

सुप्रीम कोर्ट तेरी तानाशाही नहीं चलेगी, नहीं चलेगी के लगाए नारे

आरक्षण में छेड़छाड़ बंद करो, नहीं तो कुर्सी छोड़ो का लिखा स्लोगन

बसपा एवं भीम आर्मी के राष्ट्रीय अध्यक्षों ने भारत बंद का किया था आह्वान

बलिया। क्रीमी लेयर को लेकर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी से नाराज बहुजन समाज पार्टी व आज़ाद समाज पार्टी के कार्यकर्ताओं ने बुधवार को कलक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया। इस दौरान लोगों ने सुप्रीम कोर्ट तेरी तानाशाही नहीं चलेगी के जमकर नारे लगाए। जिसका वीडियो वायरल हो रहा है। नगर के अंदर जुलूस के दौरान लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा। वही सुरक्षा के मद्देनजर जुलूस से लेकर कलक्ट्रेट पर भारी पुलिस बल मुश्तैद रही। बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री बहन मायावती और भीम आर्मी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आदेश पर बुधवार को बसपाईयों व भीम आर्मी ने शक्ति प्रदर्शन प्रदर्शन किया। पार्टी की ओर से भारत बंद का आव्हान किया गया था। इस दौरान बसपा व भीम आर्मी के लोगों ने राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन नगर मजिस्ट्रेट इंद्रकांत द्विवेदी को सौपा एवं आरक्षण में छेड़छाड़ बंद करने की मांग की।

बता दे कि सुप्रीम कोर्ट के एक अगस्त 2024 के क्रीमीलेयर के फैसले से पूरे भारत में एससी-एसटी व ओबीसी समाज में हताशा निराशा व आक्रोश व्याप्त है। क्रीमी लेयर को लेकर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी से नाराज बसपाई व भीम आर्मी के वक्ताओं का कहना है कि इस आदेश से ऐसी अनेकों तमाम समस्याएं उत्पन्न होगी। बाबा साहब भीम राव अम्बेडकर द्वारा संविधान में सामाजिक, शैक्षणिक, गैर बराबरी एवं छुवाछुत स्तर पर दिया गया वह आरक्षण ही खत्म न हो जाए। अन्त में इसका नतीजा यह होगा कि इनके हिस्से का आरक्षण सामान्य वर्ग को ही दे दिया जाएगा। भारत देश के समस्त एससी व एसटी की भावनाओं व संवैधानिक अधिकार को ध्यान में रखते हुए सर्वोच्च न्यायालय के 01 अगस्त 2024 के फैसले को निष्प्रभावी बनाने हेतु भारत सरकार तत्काल संसद का विशेष सत्र बुलाकर संविधान संशोधन करे और इसे नौवीं अनुसूची में शामिल करें। जिससे एससी व एसटी वर्गों के भविष्य में किसी भी प्रकार का छेड़छाड़, क्रिमीलेयर व उपवर्गीकरण करने का अधिकार किसी को भी न हो। साथ ही क्लोजियम सिस्टम खत्म कर सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति में भी एससी व एसटी व ओबीसी आरक्षण लागू कर कर सभी को भागीदारी सुनिश्चित कराने की मांग की।

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