नई दिल्ली। पिछले कुछ समय में दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाओं को कई चुनौतियां सामना करना पड़ा। खासकर, रूस-यूक्रेन युद्ध और इससे उपजे ऊर्जा संकट ने यूरोपीय देशों की ग्रोथ को काफी प्रभावित किया। लेकिन, रिजर्व बैंक (RBI) मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की मेंबर आशिमा गोयल का कहना है कि तमाम बाहरी दिक्कतों के बावजूद इंडियन इकोनॉमी ने बेहतरीन प्रदर्शन किया है।
हालांकि, आशिमा ने यह भी कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था को अपना लचीलापन बढ़ाना होगा, क्योंकि भू-राजनैतिक स्थिति अभी नाजुक बनी हुई है। उन्होंने देश में मुद्रास्फीति (Inflation) कम होने को अच्छी खबर बताया। उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति कम तो हुई है, लेकिन यह अभी उस स्तर पर नहीं आई है, जिस पर हम इसे लाना चाहते हैं।
भारतीय अर्थव्यवस्था के अच्छे प्रदर्शन की वजह बताते हुए आशिमा ने कहा, ‘हमारी इकोनॉमी में विविधता बढ़ रही है। हमने बेहतर नीतिगत बदलाव भी किए। इन दोनों चीजों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को बाहरी झटकों से बचाने में मदद की।
अगले वित्त वर्ष में भी इंडियन इकोनॉमी का प्रदर्शन अच्छा रहने की उम्मीद है। रिजर्व बैंक का अनुमान है कि घरेलू खपत में सुधार और निजी पूंजीगत व्यय चक्र में तेजी से वित्त वर्ष 2025-26 में जीडीपी ग्रोथ रेट 7 फीसदी रह सकती है। आशिमा ने कहा कि चूंकि भू-राजनीति नाजुक बनी हुई है, इसलिए हमें नीतिगत बदलावों से अर्थव्यवस्था को लचीला बनाए रखने में मदद करनी होगी।
पिछले दिनों RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी कहा था कि मुद्रास्फीति को कम करने के लिए केंद्रीय बैंक का काम अभी खत्म नहीं हुआ है। अगर हमने पॉलिसी के मोर्चे पर कोई भी लापरवाही की, तो हमें अब तक जो भी कामयाबी मिली है, उस पर भी बट्टा लग जाएगा।
आर्थिक और सामाजिक रूप से बेहतर दक्षिणी-पश्चिमी राज्यों ने उत्तरी-पूर्वी राज्यों को ‘सब्सिडी’ देने को गलत बताते हुए बहस शुरू की थी। इससे जुड़े सवाल का जवाब देते हुए मशहूर अर्थशास्त्री गोयल ने कहा कि इस तरह की सब्सिडी देना राजकोषीय महासंघ के कामकाज का हिस्सा है। इसकी दिशा अतीत में अलग थी और भविष्य में भी फिर बदल जाएगी, क्योंकि बाकी राज्य भी विकसित होंगे।
आशिमा से पूछा गया कि ग्रामीण मजदूरी के मुद्रास्फीति के हिसाब से बढ़ाने की बात कही गई थी, लेकिन पिछले एक दशक में इसमें बमुश्किल कोई इजाफा हुई है। इस पर उन्होंने कहा कि कई ग्रामीण मजदूर परिवारों को मुफ्त भोजन समेत कई अन्य कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिलता है, इस हिसाब से उनकी मजदूरी में बढ़ोतरी मुद्रास्फीति से भी ज्यादा हुई है।