शहंशाह ए गज़ल ख़ुमार बाराबंकवी की यौमे पैदाइश पर साहित्यकारों का हुआ सम्मान
बाराबंकी। उर्दू शायरी के फ़लक पर सितारें की तरह चमकने वाले शहंशाह ए गज़ल ख़ुमार बाराबंकवी की यौमे पैदाइश पर स्टेशन रोड स्थित मुगल दरबार में खुमार मेमोरियल अकादमी द्वारा सेमिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ राजनेता अमीर हैदर ने की। इस दौरान हिन्दी और उर्दू के क्षेत्र में काम करने वाले दो शख्सियतों को अवार्ड देकर सम्मानित किया। जिनमें शायर एवं साहित्यकार सगीर नूरी को अजीज बाराबंकवी अवार्ड और हिन्दी के साहित्यकार स्व. कल्पनाथ सिंह को मरणोपरांत पं हनुमान प्रसाद त्रिपाठी उर्फ आजिज मातवी अवार्ड से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उनके पुत्र उनके पुत्र सर्वेश कुमार सिंह ने ग्रहण किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व कैबिनेट मंत्री अरविन्द कुमार सिंह गोप ने कहा कि खुमार बाराबंकवी की शायरी ने दिलों को जोड़ने का काम किया। उन्होंने सीमित संसाधनों से अपनी ईमानदारी और अखलाक से बाराबंकी का नाम देश दुनिया में नाम रोशन किया। श्री गोप ने बताया कि समाजवादी पार्टी ने हमेशा कवियों, शायरों और साहित्यकारों को सम्मान किया है और उन्हें आगे बढ़ाने का मौका दिया है। यह सीख हमें नेताजी मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादवद से मिली है।
बनारस से आए सलमान बशर ने कहा कि खुमार साहब आज हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनके लिखे हुए गीत, गज़ल और शायरी ने उन्हें आज भी लोगों में दिली इंकलाब पैदा करते है। उन्होंने देश ही नहीं पूरी दुनिया में जनपद बाराबंकी का नाम अपनी दमदार शायरी की बदौलत रौशन किया है। फिल्मी दुनिया में भी खुमार साहब ने अपने गीतों के माध्यम से अपनी पहचान बनाई है सैकड़ों उनके लिखे हुए गाने आज भी लोग गुनगुनाते हैं। खुमार की शायरी ने आवामी कौम पर पुरजोर असर किया। उन्होंने उनकी एक गज़ल को पढ़ते हुए कहा कि ‘हुस्न जब मेहरबाँ हो तो क्या कीजिए, इश्क़ के मग़्फ़िरत की दुआ कीजिए।।’ पूर्व सांसद जफर अली नकवी ने कहा कि बाराबंकी की सरजमीं पर खुमार बाराबंकवी, मौलाना अब्दुल माजिद दरियाबादी, शमशी मिनाई, सागर आज़मी, आजिज बाराबंकवी जैसी अदबी शख्सियतों ने उर्दू शायरी को एक अलग पहचान दी। खुमार साहब ने मौजूदा वक्त को पहले ही महसूस कर लिया था तभी तो उन्होंने लिखा कि ‘चरागों के बदले मकां जल रहे हैं, नया है ज़माना नई रोशनी है।।’ खुमार मेमोरियल अकादमी के सचिव मो उमैर किदवई ने कहा कि खुमार साहब की सादगी और उनकी अपनी पहचान थी। सरल स्वभाव नरम लहज़ा उनको और मकबूल बना देती थी। अपनी साद जबान की वजह से वह आम जन में बेहद मकबूल हुए। उनकी विरासत को उनके पोते फैज़ खुमार आगे बढ़ा रहे हैं। इस मौके परन स्व. खुमार बाराबंकवी, स्व. गयासुद्दीन किदवई और स्व राजीव चौधरी के चित्रों का लोकार्पण करके उन्हें खिराजे अकीदत पेश किया गया। सेमिनार का संचालन शायर फजल इनाम मदनी ने किया।
इस मौके पर मुख्य रूप से सदर विधायक धर्मराज सिंह उर्फ सुरेश यादव, डॉ अनीस अशफाक, वरिष्ठ पत्रकार हशमत उल्ला, इमरान अलियाबादी, वरिष्ठ सपा नेता शहाब खालिद ने अपने विचार रखे। कार्यक्रम में जिला बार एसोसिए शन के अध्यक्ष हिसाल बारी किदवई, पूर्व अध्यक्ष सुरेन्द्र प्रताप सिंह बब्बन, वरिष्ठ पत्रकार तारिक खान, अकील अहमद, परवेज अहमद, फैज खुमार, अनवर महबूब किदवई, सलाहउद्दीन किदवई, जतिन चौधरी, हुमायूं नईम खान, डा, जावेद अहमद, सपा प्रवक्ता फराजुद्दीन किदवई, तारिक जिलानी, वीरेन्द्र प्रधान, हशमत अली गुड्डू, तौकीर कर्रार, नसीम कीर्ति, एस.एम हारिश आदि कई लोग मौजूद रहे।