सचिवों की दर्दनाक मौत, किस पटल की लापरवाही

अपनी जिम्मेदारियों से भटका पंचायत राज विभाग

सीतापुर। पंचायत राज विभाग के अधिकारी और पटल के जिम्मेदार इतने निर्दयी हो गये है कि वह अपने अधीनस्थ कर्मचारियों का ही ध्यान नही रख पा रहे है। विभाग के सचिवों को समय से उनका बकाया धनराशि नही मिल पा रहे है जिससे एक सचिव की उपचार के अभाव में मौत हो गई तो पूर्व में भी एक सचिव ने फांसी लगाकर अपनी आत्म हत्या कर ली थी। आखिर किस नियम के आधार पर विभाग द्वारा सचिवों को बकाया धन नही दिया जा रहा है। इसे निर्दयता कहे या फिर निजी स्वार्थो का चक्कर यह तो जांच का विषय है लेकिन दो सचिवों की मौत के बाद प्रशासन को तो हरकत में आना चाहिए और इन दोनो सचिवों की मौत का किसी न किसी अधिकारी या पटल अधिकारी की जवाब देही होनी चाहिए। क्योकि अभी दोनो सचिव युवा थे ऐसे में मौत का समय नही था अगर विवेक को समय से बकाया 14 लाख रूपये मिल जाते तो विवेक का लीवर ट्रान्सप्लाण्ट हो जाता है और आज सचिव विवेक शायद जिंदा होता है। यह कैसा है पंचायत विभाग का सिस्टम कि उसकी एक नादानी ने हंसते खेलेत परिवार पर दुखों का पहाड़ गिरा दिया। विभाग की लापरवाही ने एक नही दो दो मांओं के आंखों के तारे छीन लिये। मासूमो के सर पिता का साया छीन लिया पत्नी का सुहाग उजड़ गया बूढे बाप की बुढ़ापे की लाठी छिन गई। एक साथ इतने लोगो को सदमा लगा है अगर इसके बाद भी किसी अधिकारी की जवाबदेही नही बनती है तो यह तो उन मृतक आश्रितों के साथ अन्याय होगा जिनकी मौत अपना खुद का बड़ा कारण विभाग की घोर लापरवाही। वैसे भी पंचायत राज विभाग पर उंगलिया उठ रही है।

क्योकि पंचायत राज विभाग में कार्यालय स्तर पर कई पटल पर ऐसे जिम्मेदार तैनात है जिन्होने एक नही कई पटल की जिम्मेदारी उठा रखी है । जिससे वह सचिवों को मानसिक व आर्थिक रूप से परेशान कर सके , अगर यह जिम्मेदार समय से ध्यान दिए होते तो विवेक का लीवर खराब था उसका 14 लाख रूपया पंचायत राज विभाग पर बकाया था और सचिव विवेक बार बार कह रहा था कि साहब हमारा लीवर खराब है लीवर बदलना है मेरा पैसा दो तो उपचार हो जाये वरना मै मर जाऊगां इतनी करूण भाषा पर भी विभागीय अधिकािरयों का दिल नही पसीजा और उन्होने कोई भुगतान नही किया यही हाल सचिव अभिषेक साहू का रहा। अभिषेक शाहू का भी लगभग 2 वर्षो का भुगतान बकाया था लेकिन बार बार कहने के बाद भी भुगतान नही मिला और सचिव अभिषेक साहू ने फांसी लगा कर ली। 36 दिनों के अन्तराल पर दो घटनाएं हुई इसके बाद भी न तो विभाग चेत रहा है और नही इन वारदातों की जवाब देही निर्धारित की गई है। और न ही जिम्मेदार पटल अधिकारियों की लापरवाही पर न तो जाँच कमेटी गठित की गई जोकि की चर्चा का विषय है ।

Related Articles

Back to top button