बुजुर्ग को सांड ने मारा, लगातार बढ़ रहा है आतंक…

कानपुर। कानपुर में अन्ना मवेशियों का आतंक थम नहीं रहा। महाराजपुर के फुफुवार सुई थोक में 71 साल के किसान जागेश्वर को सांड़ ने पटक-पटकर मार डाला। दरअसल, जागेश्वर मंगलवार रात को अपनी फसल की रखवाली कर रहे थे। तभी सांड़ों का एक झुंड खेतों में घुस गया।

जागेश्वर ने उन्हें भगाया, तो एक सांड़ ने हमला कर दिया। प्रत्यक्षदर्शी किसान रामकुमार के अनुसार सांड़ ने उन्हें 10 बार पटका। बुधवार रात को हैलट में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। तीन दिन में सांड़ के हमले से यह दूसरी मौत है। 18 दिसंबर को कैंट में इकलाख को सांड़ ने पटककर मार डाला था।

जागेश्वर के खेत गांव से कुछ दूरी पर हैं। वे रोज की तरह मंगलवार रात को भी खेत की रखवाली करने गए थे। इसी दौरान सांड़ों का एक झुंड खेत में घुसकर फसल बर्बाद करने लगा। जागेश्वर ने सांड़ों को भगाने के लिए आवाज लगाई तो एक सांड़ उनकी तरफ दौड़ा। जागेश्वर भी बचने के लिए भागे, लेकिन सांड़ ने दौड़ाकर उन पर हमला कर दिया।

हैलट में भर्ती कराया, लेकिन मौत हो गई
उनकी चीख-पुकार सुनकर आसपास खेतों की रखवाली कर रहे किसान वहां पहुंचे और पथराव कर सांड़ को भगाया। सूचना पर मौके पर पहुंचे बेटे सुखलाल, राजकुमार और बेटी यशोदा ने जागेश्वर को पहले कांशीराम अस्पताल और फिर हैलट में भर्ती कराया। यहां उनकी मौत हो गई।

लगातार हो रहे हादसे, जिम्मेदार बेखबर
18 दिसंबर: रेलबाजार इलाके में इकलाख (62) को भी सांड़ ने पटक कर मार दिया था।
15 अक्तूबर: कल्याणपुर आईआईटी गेट के पास सांड़ से बाइक टकराई, सांड़ ने चालक मनोज को मार डाला।
21 जुलाई: बिल्हौर के गबड़हा गांव में सांड़ ने किसान कनौजी लाल को पटका, मौत
11 जनवरी: घाटमपुर के पतारा गांव में किसान राजनारायण को सांड ने पटककर मार डाला
22 जुलाई: कोपरगंज इलाके में सांड़ ने कविता तिवारी की पटका, मौत
बिरहाना रोड पर भी जानवरों ने एक शख्स को पटककर मार दिया था।
लगातार मवेशियों को पकड़ने के लिए धरपकड़ की जा रही है। एक नवंबर से एक दिसंबर तक अभियान चलाया गया था। 450 छुट्टा मवेशियों को पकड़कर गोशाला भेजा गया था। -डॉ. आरके निरंजन, पशु चिकित्साधिकारी

5500 से ज्यादा छुट्टा गोवंश, औसतन रोजाना 15 ही पकड़े जा रहे
कानपुर शहर हो या ग्रामीण क्षेत्र हर जगह छुट्टा गोवंश का आतंक है। इनको पकड़ने के नाम पर अभियान भी चलाया जाता है। औसतन रोजाना 15 गोवंश ही पकड़े जाते हैं। यही वजह है कि जिले में अभी भी 5500 से ज्यादा गोवंश खुले घूम रहे हैं। छुट्टा गोवंश को पकड़ने की गति यही रही तो 2025 तक भी जिला गोवंशों से मुक्त न हो पाएगा।

कैटल कैचिंग दस्ते के पास केवल छह वाहन
नगर निगम कैटल कैंचिंग दस्ते के पास महज छह गाड़ियां हैं। इतने बड़े जिले में ये नाकाफी हैं। शहरी क्षेत्र में चकेरी, रामादेवी, जीटी रोड, हालसी रोड, मेस्टन रोड, मूलगंज, बर्रा, रतन लालनगर, दबौली, गुजैनी, किदवईनगर, गोविंदनगर जैसे इलाकों में मुख्य मार्ग पर छुट्टा गोवंश बैठे मिल जाते हैं। अब तक पकड़े गए गोवंशों को कांजी हाउस, पनकी और जाजमऊ में रखा गया है। सात हजार से ज्यादा कांजी हाउस, करीब 1500 पनकी और सौ के लगभग जाजमऊ में हैं।

छुट्टा गोवंश से रखवाली के लिए दिन-रात खेतों में रहते किसान
छुट्टा गोवंश न केवल हादसे का कारण बन रहें हैं, ग्रामीण इलाकों में फसलें भी बर्बाद कर रहे हैं। यही वजह है कि किसान दिनभर फसलों की रखवाली करते हैं। रात में भी झोपड़ी बनाकर ठंड में खेतों में ही पड़े रहते हैं।

59 छुट्टा मवेशी पकड़े गए
जिलाधिकारी के निर्देश पर कल्याणपुर ब्लॉक के अधिकारियों ने नगर निगम कैटल कैचिंग दस्ते की मदद से गुरुवार को सिंहपुर मैनावती मार्ग, नौबस्ता, धोबिनपुलिया पर छुट्टा पशुओं को पकड़ने का अभियान चलाया गया। 59 छुट्टा पशुओं को पकड़कर बिठूर और सरसौल की गोशालाओं में भेजा गया। इस मौके पर खंड विकास अधिकारी ज्योत्सना त्रिपाठी, एडीओ पंचायत अतुल शुक्ला आदि मौजूद रहे।

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