नई दिल्ली। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को कहा कि सहकारिता के माध्यम से मोदी सरकार ग्रामीण अर्थतंत्र को नई गति दे रही है। शाह नई दिल्ली के पूसा स्थित आईसीएआर कन्वेंशन सेंटर में आयोजित राष्ट्रीय स्तर के सम्मेलन में सहकारिता मंत्रालय के 100 दिनों में किए गए परिवर्तनकारी पहलों की श्रृंखला का उद्घाटन करने के बाद संबोधित कर रहे थे।
सम्मेलन के मुख्य सत्र के दौरान अमित शाह ने “सहकार से समृद्धि” थीम के अंतर्गत मंत्रालय द्वारा “100 दिनों की पहल” का शुभारंभ किया। उन्होंने अब तक कवर नहीं किए गए गांवों व पंचायतों में 2 लाख नई एमपीएसीएस, प्राथमिक डेयरी और मत्स्य सहकारी समितियों के गठन और सुदृढ़ीकरण, श्वेत क्रांति 2.0 पर मानक संचालन प्रक्रिया और सहकारी समितियों के बीच सहयोग पर एक ‘मार्गदर्शिका’ का भी शुभारंभ किया।
मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले 100 दिनों में सहकारिता क्षेत्र में किए गए कार्यों पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने कहा कि 70 सालों में सरकार की अनदेखी के कारण इस देश में सहकारिता आंदोलन अप्रासंगिक होता जा रहा था। प्रशासन, अर्थव्यवस्था और अन्य क्षेत्रों में हो रहे बदलावों को ध्यान में रखते हुए इस क्षेत्र में जो बदलाव आवश्यक थे, वे नहीं किए गए। जब इस मंत्रालय का गठन किया गया था तो इसका उद्देश्य सभी गांवों और जिलों में सहकारिता क्षेत्र को पुनर्जीवित करना था।
उन्होंने कहा कि तीन नई पहलों को एक साथ लॉन्च किया गया है। शाह ने भरोसा दिलाया कि पैक्स अब बंद नहीं होंगे। श्वेत क्रांति 2.0 महिला सशक्तिकरण का माध्यम बनेगा। यह महिलाओं को रोजगार देने का काम भी करेगा।
केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी तथा पंचायती राज मंत्री राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह ने कहा कि श्वेत क्रांति 2.0 न केवल किसानों की आय बढ़ाएगी बल्कि महिला सशक्तिकरण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। उन्होंने कहा कि मत्स्य और पशुपालन से जुड़े लोग असंगठित क्षेत्र में होने के कारण सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं उठा पाते हैं। सरकार ने आज इसी के मद्देनजर श्वेत क्रांति 2.0 लॉन्च किया है। सिंह ने कहा कि दूध उत्पादन में भारत आज विश्व में पहले स्थान पर है। 2014 में नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनाने के बाद दोगुनी वृद्धि के कारण यह संभव हुआ है।