नई दिल्ली: वन नेशन वन इलेक्शन के विधेयक को मोदी सरकार ने कैबिनेट मीटिंग में मंजूरी दे दी है। सरकार संसद के चालू शीतकालीन सत्र में बिल ला सकती है। सबसे पहले यह बिल जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी के पास जाएगा और फिर इस पर सभी सियासी दलों के सुझाव लिए जाएंगे। आखिर में यह बिल संसद में लाया जाएगा और इसको पास करवाया जाएगा। एक साथ चुनाव कराना भारतीय जनता पार्टी द्वारा अपने लोकसभा चुनाव घोषणापत्र में किए गए अहम वादों में से एक था।
यह कदम मोदी सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली हाई लेवल कमेटी की सिफारिशों को मंजूर करने के बाद उठाया है। कमेटी ने चरणबद्ध तरीके से लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों के चुनाव एक साथ कराने का सुझाव दिया है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस कदम का कांग्रेस और आम आदमी पार्टी जैसी कई इंडिया गठबंधन की पार्टियों ने विरोध किया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि इससे केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी को फायदा होगा। नीतीश कुमार की जेडीयू और चिराग पासवान जैसे अहम एनडीए साथियों ने एक साथ चुनाव कराने का समर्थन किया है।
केंद्र को आम सहमति बनानी होगी- पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद
इस मुद्दे पर समिति की अध्यक्षता करने वाले पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मीडिया से बात करते हुए कहा, ‘केंद्र सरकार को आम सहमति बनानी होगी। यह मुद्दा किसी पार्टी के हित में नहीं बल्कि राष्ट्र के हित में है। यह एक राष्ट्र, एक चुनाव गेम-चेंजर होगा। यह मेरी राय नहीं बल्कि अर्थशास्त्रियों की राय है, जो मानते हैं कि इसके लागू होने के बाद देश की जीडीपी 1-1.5 फीसदी बढ़ जाएगी।