संग्रहालय में संजोई जाएंगी योगानंद की स्मृतियां

गोरखपुर। दुनिया भर को क्रिया योग का पाठ पढ़ाने वाले परमहंस योगानंद अब केवल गोरखपुर के मौखिक इतिहास का हिस्सा नहीं होंगे। उनकी जन्मस्थली को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इसके लिए 50 करोड़ रुपये की धनराशि तो पहले ही स्वीकृत हो गई थी।

पहली किश्त के रूप में 19 करोड़ रुपये मिलने के बाद पर्यटन विभाग ने जन्मस्थली पर बने भवन व जमीन के अधिग्रहण की तैयारी भी शुरू कर दी है। पहली किश्त की धनराशि का इस्तेमाल भवन व जमीन का मुआवजा देने में किया जाएगा। विभाग ने इसे लेकर विशेष भूमि अध्याप्ति कार्यालय से संपर्क साधा है।

योगानंद के पिता भगवती चरण घोष बंगाल-तिरहुत रेलवे के कर्मचारी के तौर पर उन दिनों गोरखपुर में तैनात थे और अपने परिवार के साथ कोतवाली के बगल की गली में शेख अब्दुल रहीम उर्फ अच्छन बाबू के यहां किराए पर रहते थे।

उनकी गोरखपुर की रिहाइश के दौरान ही पांच जनवरी 1993 में योगानंद का जन्म हुआ। उनका मूल नाम मुकुंद लाल घोष था, योगगुरु के रूप मेंं योगानंद के नाम से वह पूरी दुनिया में जाने गए। उनके जन्म स्थली को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने की मांग लंबे समय से चल रही थी पर वह मांग तक ही सीमित रह जा रही थी।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संज्ञान में जब मांग आई तो उन्होंने जिला प्रशासन को दिशा में प्रक्रिया आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी सौंपी। जिला प्रशासन के प्रयास और प्रदेश सरकार के निर्देश पर मांग को धरातल पर उतारने की प्रक्रिया आगे बढ़ी।

बीते वर्ष जन्मस्थली को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने का प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा। प्रस्ताव स्वीकृत हुआ और पहली किस्त के रूप में 19 करोड़ रुपये जारी कर दिए गए।

संग्रहालय में संजोई जाएंगी योगानंद की स्मृतियां

पर्यटन विभाग की प्राथमिक योजना के मुताबिक जन्मस्थली पर एक संग्रहालय बनाया जाएगा। उसमेंं योगानंद से जुड़ी वह वस्तुएं संरक्षित की जाएंगी, जिन्हें अच्छन बाबू के पुत्र शेखू ने सुरक्षित कर रखा है। वहां योगानंद का एक प्रतिमा भी स्थापित की जाएगी, जिससे पर्यटकों में स्थल के प्रति का आकर्षण बढ़ेगा। पर्यटन केंद्र में पुस्तकालय, फोटो गैलरी और एक हाल बनाने की पर्यटन विभाग की योजना है।

गोरखपुर क्षेत्रीय पर्यटक अधिकारी रवींद्र कुमार मिश्र ने कहा कि योगानंद के जन्मस्थल को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने की मांग लंबे समय से चल रही थी। उनकी शिष्य परंपरा के कुछ विदेशी लोग भी जब जन्मस्थली देखने के लिए बीते दिनों आए तो उन्होंने भी जन्मस्थल को आस्था की दृष्टि से विकसित करने का अनुरोध किया।

कहा कि इसे ध्यान में रखकर ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन व निर्देश प्रस्ताव तैयार कराया गया, जो तत्काल स्वीकृत हो गया और निर्माण की निर्धारित धनराशि की पहली किस्त भी जारी हो गई है।

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