लोकतंत्र, संविधान और सच की रक्षा करने में विफल रहा मीडिया

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस मदन बी लोकुर ने शनिवार को कहा कि नोटबंदी, अनुच्छेद 370 जैसे ज्वलंत मुद्दों को सूचीबद्ध करने में लंबी देरी न्याय की गुणवत्ता को प्रभावित करती है। साथ ही इस धारणा को भी बल मिलता है कि कुछ गड़बड़ है। उन्होंने कहा कि मामलों को सूचीबद्ध करने में देरी की समस्या कोई नई बात नहीं है और यह बहुत लंबे समय से है खासकर सुप्रीम कोर्ट में।

न्यायिक जवाबदेही और सुधार अभियान (सीजेएआर) द्वारा यहां आयोजित एक सेमिनार में उन्होंने कहा कि नोटबंदी, अनुच्छेद-370 और राजनीतिक फंडिंग के लिए चुनावी बांड जैसे मामले कई वर्षों के बाद सुनवाई के लिए शीर्ष अदालत में सूचीबद्ध किए गए। उन्होंने कहा- ” नोटबंदी से संबंधित मुद्दा शायद चार या पांच साल बाद सूचीबद्ध हुआ। इसी तरह चुनावी बांड से संबंधित मुद्दा भी पांच साल बाद सूचीबद्ध हुआ।”

दिसंबर 2018 में सेवानिवृत्त हुए जज ने कहा कि आज आम धारणा यह है कि यदि कोई मामला किसी विशेष पीठ के समक्ष भी जाता है तो उसका परिणाम भी यही होगा। न्यायमूर्ति लोकुर ने पूर्व जेएनयू छात्र और एक्टिविस्ट उमर खालिद के मामले का भी जिक्र किया, जिसने हाल ही में फरवरी 2020 में पूर्वोत्तर दिल्ली में हुए दंगों के साजिश के आरोप में आतंकवाद विरोधी कानून के तहत दर्ज मामले में शीर्ष अदालत से अपनी जमानत याचिका वापस ले ली थी। यह मामला लंबे समय से सूचीबद्ध नहीं हुआ था। अंतत:, वकील ने कहा कि हम इसे वापस लेना चाहते हैं। आखिर क्यों?

उन्होंने कहा कि खालिद के वकील को पता था कि परिणाम क्या होने वाला है। उन्होंने कहा कि यूएपीए और पीएमएलए के तहत दर्ज मामलों में जमानत मिलना लगभग असंभव हो गया है। वरिष्ठ वकील और राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने संदेह के आधार पर व्यक्तियों को गिरफ्तार करने के प्रविधान को असंवैधानिक करार दिया। उन्होंने कहा कि उदार देशों में किसी व्यक्ति को जांच के बाद ही गिरफ्तार किया जाता है, लेकिन हमारे यहां गिरफ्तारी पहले होती है और जांच बाद में होती है, यह ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर पुलिस सत्ता में बैठे लोगों के निर्देशों के अनुसार काम करेगी तो फिर कानून किसी की रक्षा नहीं कर सकता।

सच की रक्षा करने में विफल रहा मीडिया

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस कुरियन जोसेफ ने मीडिया पर कड़ा प्रहार करते हुए कहा कि यह लोकतंत्र, संविधान और सच्चाई की रक्षा करने में विफल रहा है। लोकतंत्र के लिए यह सबसे बड़ा झटका है कि उसका चौथा स्तंभ पूरी तरह असरहीन हो चुका है।

उन्होंने कहा कि सम्मेलन से पहले हमने कई चीजों पर चर्चा की लेकिन जिन चीजों पर हमने चर्चा की, क्या हम उन्हें किसी मीडिया में पढ़ते हैं, क्या हम डिजिटल मीडिया में कुछ निजी मीडिया को छोड़कर किसी इलेक्ट्रानिक मीडिया में देखते हैं। उन्होंने व्हिसल ब्लोअर को पांचवां स्तंभ बताते हुए उनकी सुरक्षा का भी जोरदार आह्वान किया। उन्होंने कहा कि हमें इनके साथ खड़े होने की सख्त जरूरत है।

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