जवाब दे माला बाजपेई डेड वाहनों का फिटनेश है या फिर है उनकी कृपा
देश के कर्णधारों को लेकर सीएम दे रहे लगातार निर्देश डीएम हुए सक्रिय
सीतापुर। एआरटीओ प्रशासक माला बाजपेई स्कूली वाहनों पर जारी गाइड लाइन का पालन नही करवा पा रही है। अब चर्चा होने लगी है कि स्कूली वाहनों की गाइड लाइन इस समय एआरटीओ कार्यालय की आमदनी का जरिया बना हुआ है। अगर ऐसा न होता तो महमूदाबाद में गाइड लाइन तो दूर जर्जर वैनो पर नौनिहालों को स्कूल व घर भेजने का काम किया जा रहा है। एआरटीओ प्रशासक माला बाजपेई की लापरवाही का पता शायद तेज तर्रार जिलाधिकारी अभिषेक आनन्द को मिल चुकी है इसी कारण उन्होने स्कूली वाहनों की अपने स्तर से पड़ताल करवाई और करीब एक दर्जन वाहन तो डेड पाये गये और तमाम वाहनों के कागजात आधे अधूरे थे। डीएम ने नौनिहालों के भविष्य और उनके साथ हो रही लगातार दुर्घटनाओं को देखते हुए सख्त आदेश दिये है कि हर स्कूली वाहन जारी गाइड लाइन के अनुसार चलने चाहिए। अगर ऐसा नही हुआ तो सख्त कार्यवाही की जायेगी। डीएम के इस आदेश के बाद स्कूलों के मैनेजमेण्ट में तो हड़कम मच गया है लेकिन एआरटीओ प्रशासक मालाबाजपेई द्वारा सीयूजी से लेकर अपना प्राइवेट नम्बर तक स्वीच आफ रखती है अगर कहीं प्राइवेट नम्बर खुला पाया गया घण्टी जाती रहती है फिर भी उनका फोन नही उठता है। इस बारे में जब जानकारी की गई तो कार्यालय सूत्रो ने बताया कि माला बाजपेई द्वारा केवल अपनों के ही नम्बर रिसीब किये जाते है बाकी चहो जितनी बड़ी जानकारी का आदान प्रदान करना हो वह फोन नही उठाती है। सूत्रो द्वारा लगातार दावा किया जा रहा है कि जिला के डीएम और कप्तान जैसे हाकिम जनता के बीच से आये फोन को तुरन्त उठाते है अगर नही उठा पाते है तो काल वापस करते है लेकिन माला बाजपेई से बात करना बेहत मुश्किल है जब वह फोन ही नही उठाती है तो काल वापस करने का सवाल ही नही है। कार्यालय के सूत्रो का दावा यह भी है कि सीएम, डीएम, और कप्तान से जनता बात आसानी से कर सकती है लेकिन एआरटीओ प्रशासक सीतापुर से फोन पर जान आदान प्रदान करना बेहद मुश्किल है। सूत्रो का यह भी कहना है कि गाजियाबाद में हुई नौनिहालों के साथ मौत वाली घटना के सीएम जो शासक है उन्होने सबक लिया सीतापुर में कई घटनाओं को भी संज्ञान में लिया लेकिन एआरटीओ प्रशासक सीतापुर इससे सबक नही ले रही है जो अपने आपमें एक अहम विषय है।