बाराबंकी। फतेहपुर तहसील के नगर पंचायत बेलहरा क्षेत्र में बेसकीमती करोड़ों रुपया भूमि पर नगर पंचायत अधिकारियों की नजर लग गई। वह चैयरमैन प्रतिनिधि व स्थानीय पुलिस की साथ-गांठ से बुजुर्ग महिला कब्जे जमीन व निर्माण पर बुलडोजर चलवा दिया। यहां बेलहरा चौकी निर्माण कार्य शुरू कर दिया। यह सब ईओ द्वारा कब्जेदार बुजुर्ग महिला को मात्र दो महीने अंदर नोटिस देकर किया गया। उसने न्यायालय में गुहार लगाई। डबल बेंच ने सुनवाई करते हुए पीड़ित पक्ष को बगैर सुने अगले आदेश तक निर्माण बंद रखने आदेश दिया है। लेकिन ईओ बड़ी होशियारी से कोर्ट कॉपी रिसीव नहीं करके चोरी छिपे निर्माण करा रहे। पीड़ित एक सप्ताह से कार्यालय चक्कर काट रहा हैं।
फतेहपुर तहसील क्षेत्र के नगर पंचायत बेलहरा के भटुवामऊ निवासी बुजुर्ग महिला सूफिया खातून (68) व शमीमा खातून (65) ने बताया कि वर्ष 1950 में उनके ससुर स्व. अब्दुल सत्तार खां ने रानी कनीज आबिद की रियासत में गाटा संख्या 1023 (वर्तमान गाटा संख्या 807) खरीदा भूमि रक्बा 6695 वर्ग फीट लिया था। जो क्षेत्र के बेलहरा महमूदाबाद संपर्क मार्ग पर स्थित है। करीब 74 वर्षों में इस पर उसका कब्जा है। मकान व दुकान निर्माण कर यहां रहती है। उसका कहना है कि बीते दिन ईओ बेलहरा विनय शंकर अवस्थी, चैयरमैन शबाना खातून, चेयरमैन प्रतिनिधि मो. अयाज खान व स्थानीय इंस्पेक्टर अनिल कुमार साठ गांठ बेलहरा चौकी बनाने प्रस्ताव बैठक में दिया।
तब सभासदों ने विरोध किया। यह योजना विफल होने पर ईओ ने कब्जेदार बुजुर्ग महिला को बेदखली का नोटिस थमा दिया। तब उसने आवास टैक्स समेत अन्य दस्तावेज अहंकार में डूबे ईओ व चैयरमैन समक्ष प्रस्तुत किया। लेकिन उसकी सुनवाई नहीं हो सकी। उसके मकान व दुकान पर बुलडोजर चलाकर गिरा दिया। यहां पक्का निर्माण शुरू हो गया। उच्चाधिकारियों से हुई शिकायत पर सुनवाई नहीं हुई। तब उसने न्यायालय में गुहार लगाई। डबल बेंच के न्यायाधीश माननीय अरुण कुमार सिंह देसवाल व आलोक माथुर ने सुनवाई करते हुए नगर पंचायत बेलहरा द्वारा जारी 13 जून 2024 के आदेश को रद्द करते हुए पीड़ित पक्ष को सुनने का मौका देने का आदेश पारित किया है। यह फैसला कोर्ट में अधिवक्ता रामकुमार की दलीलों पर है। तब तक कोई निर्माण कार्य नहीं होगा आदेश में है। पीड़ित पक्ष करीब एक हफ्ते से नगर पंचायत कार्यालय में इसकी कापी रिसीव कराने चक्कर काट रहा। लेकिन ईओ अपने कर्तव्यों से बचते हुए इसकी कॉपी रिसीव नहीं कर रहे। क्योंकि कोर्ट के आदेश में साफ-साफ अगले आदेश तक निर्माण कार्य बंद रखने के फैसला है। इसके बावजूद चोरी छिपे निर्माण कार्य होता। ईओ का कहना है कि उनके द्वारा कोई निर्माण कार्य नहीं कराया जा रहा है। पीड़ित पक्ष चीख-चीख कर बार-बार अध्यक्ष व स्थानीय पुलिस की मिलीभगत से जमीन पर कब्जेदारी का आरोप लगा रहा है।
पीड़ित पक्ष का कहना है कि उसने भूमि रानी कनीज आबिद से खरीदी थी। उसकी दाखिल खारिज नहीं होने से अभी रानी के वारिसान नाम भूमि दर्ज है। कोर्ट में रानी मैनेजर व वारिसा ने स्वयं की जमीन का हक बताते हुए बयान दिया। ऐसे में पीड़ित पक्ष समाचार पत्र के माध्यम से उच्चाधिकारियों से सवाल करता है कि आखिर किस अध्यादेश व नियमावली के तहत खतौनी में दर्ज भूमि को नगर पंचायत ईओ विनय शंकर अवस्थी सरकारी भूमि घोषित करने का दावा करते हैं। नगर पंचायत ना होते हुए भी जमीन पर खाली करने का आदेश पारित कर दिया। यहां पर जबरन निर्माण कार्य कर रहा है। जिससे स्थानीय लोगों में आक्रोश व्याप्त है।वह अब अपने स्वयं के भवन को लेकर चिंतित