बाराबंकी| वर्तमान समय में देश की धरती को सियासी चौसर बना कर छोंड दिया गया है, सियासत में ऐसे- ऐसे दांव पेंच और पैतरों की अजमाईस की जा रही है जिसे देखकर यह लगता है कि देश को सिर्फ चुनावी राजनीति रणनीति के लिये ही अंग्रेजों से आजाद कराया गया था। आज देश में जो कुछ भी होता है वह चुनाव के लिये होता है और चुनाव के समय ही होता है, आदमी को आदमी से तोड़ने वा जोड़ने के लिये जिस प्रकार की राजनीति का इस्तेमाल किया जा रहा है इसे देख कर यह लगता है कि आज का आदमी या तो विकासित हो चुका है या फिर विकाशील के जामा से बाहर आने के लिये हाथ पांव पटक रहा है वहीं दूसरी ओर अगर देखा जाये तो देश वर्तमान समय में प्राकृतिक आपदा, मानवीय हमला, व राजनीतिक महौल जैसी तृकोणीय उल्झन में घिरा देश नजर आ रहा है।
आज का इंसान चुनावी राजनीति में इस प्रकार धंस चुका है कि दूसरी ओर ध्यान ही नही दे पा रहा है और यह नही कि इंसान ही राजनीति करना जानते बल्कि कुदरत भी राजनीति में बहुत माहिर है लेकिन इस धरा पर जो कुछ भी है वह सब कुदरत की ही आगोश में है इस लिये बार बार कुदरत सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करती है किन्तु अभी तक किसी के कानों पर जूं तक नही रेंगी, 03 अक्टूबर 2023 को लखनऊ जोन के कई जिलों में भूकम्प के झटके महसूस किये गये गनीमत यह रही कि इस झटके में कोई नुकसान नही हुआ फिर भी लोग अपने अपने घरों से बाहर आ गये थे। 06 अक्टूबर 2023 को सिक्किम में डैम के टूटने से जो तबाही आयी वह सभी लोगों ने देखा पानी का जो सैलाब उमड़ा उसमें सैकडों घर बह गये और हजारों लोग तबाह हो गये, 07 अक्टूबर 2023 को अफगानिस्तान के हेरात में कुदरत का ऐसा ताण्डव देखने को मिला कि भूकम्प के कारण कई हजार लोगों ने अपनी जान गवां दी और सैकडों गांव भूकम्प से तबाह हो गये।
हम आज चुनाव लड़ने में इतना व्यस्त हो गयें हैं कि अपने आस पास हो रही लड़ाई पर कोई ध्यान नही दे पा रहें है मुद्दा चाहे जो हो चुनावी लड़ाई के आगे सारे मुद्दे बेकार हैं लेकिन यह कभी नही भूलना चाहिए कि जो आग वर्तमान में लगी है उसकी लपटें कभी हम तक नहीं पहुंच पायेंगी! कोई तो ऐसा होगा जो आग की किसी एक लपट को अपनी झोपड़ी तक ले आयेगा फिर क्या झोपडी के साथ साथ झोपडी के आस पास के घर भी सुरक्षित नही रह सकेंगे। 24 फरवरी 2022 से रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध का आगाज हुआ था और अंजाम आज पूरी दुनियां देख रही है इस लड़ाई में दोनो तबाह हो रहे हैं फिर भी युद्ध रूकने का नाम नही ले रहा है जबकि रूस चाहे तो यूक्रेन क्या है पूरा देश नेस्तनाबूत कर सकता है क्योंकि वर्तमान समय में रूस से अधिक परमाणू किसी भी देश के पास नहीं हैं लेकिन लड़ाई है वर्चस्व की! इसके बीच में जो आयेगा वह मिट जायेगा वहीं दूसरी नजरिये से देखा जाये तो यूक्रेन लगभग खतम के कगार पर पहुंच गया है किन्तु साहस है! अंतिम सांस तक लडते रहने का! इस लिये युद्ध अभी जारी है देखना यह है कि यह खतम कहां पर और किस पर होता है, रूस यूक्रेन के बीच हो रहे युद्ध में अभी तोपों की नाले ठण्डी भी नही हो पायी थी कि 07 अक्टूबर 2023 को हमास ने इस्रराइल पर हमला बोल दिया हमास के लोगों ने इस्रराइल पर हमला उस दिन किया जिस दिन इस्रराइल में शबथ नाम का त्योहार था इस हमलें में इस्रराइल के लाखो लोग मारे गये जिस पर इस्रराइल ने भी हमास पर ताबड़तोड हमला किया जिसके कारण हमास मिटने की कगार पर जा पहुंचा वहीं इस्रराइल में हुये इमारती नुकसान को फिर से खड़ा करने के लिये भारत से एक लाख मजदूरों की मांग की गयी है भारतीय मजदूर वर्तमान में इस्रराइल में काम करने के लिये भारी संख्या में जाने को तैयार भी हैं। उधर ईरान ने पाकिस्तान पर 17 जनवरी 2024 को सैकड़ों गोले दाग दिये जिसके कारण पाकिस्तान में भी सैकड़ों लोग मारे गये इस घटना को लेकर पाक और इरान के बीच अभी मनमुटाव चल रहा है।
एक ओर जहां अपनी धरा का श्रृंगार बारूदों से किया जा रहा है और देश के चारों ओर से उठ रहे बारूदी धुवां की खुशबू अपने देश तक आ रही है ऐसे में किसी का मन कभी भी बहक सकता है लेकिन आज हम अभी चुनाव लड़ रहे हैं और चुनाव भी ऐसे लड़ रहे हैं कि जैसे देश सिर्फ चुनाव लड़ने के लिये ही बना है जब देश में चुनाव आता है उसी समय कुछ बाते बहुत तेजी से उछाली जाती हैं जिससे लोग और आकर्षित हों जैसे- देश की कमान देश के युवाओं के हाथ में है, देश की महिलाएं हर क्षेत्र में अग्रणीय हैं, अब तक जो होता रहा वो सभी ने देखा परन्तु अब हर शिक्षित को रोजगार मिल रहा है और जातीय समीकरण को साधने के लिये भी जमकर तीर पर तीर चलाये जाते हैं अरे भैया रूको देश आजाद हुये 77 साल हो गये हैं, बहुत कुछ बदल गया है जो आम को इमली कह रहा है उसका समर्थन हम काहे कर रहे हैं! राजनीति ही करनी है तो सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, आत्मनिर्भरता, सुरक्षा, और विकास की दिशा में नये आयाम स्थापित करने के लिये करो न कि समाज में वैमनस्ता, बदले की भावना की नियत से करनी चाहिए। वर्तमान समय में अपनी राजनीतिक रोटी सेकने के लिये जिस प्रकार जातिय जिन्न का प्रयोग किया जा रहा है वह आने वाले समय में और भी घातक साबित हो सकता है यहां पर सभी लोग अपनी अपनी ढपली अपना अपना राग अलाप रहें हैं वर्तमान समय के लोगों को देख कर यह लगता है कि शिक्षा जागरूकता का कोई मतलब ही नही है यदि आज का समाज शिक्षित है तो उसके सर्वभौमिकता की भावना से आगे बढ़ना चाहिए और देश को भी आगे बढ़ाने वाले सिद्धान्तों का समर्थन करना चाहिए वर्तमान समय में आधुनिका और जागरूकता को मद्दे नजर रखते हुये हर एक नागरिक को स्वयं के तथा सामाज के उत्थान के लिये साकारात्मक विचारधारा रखनी चाहिए और सहयोग की भावना लेकर देश के नौनिहालों एवं होनहारों के साथ निरन्तर आगे बढ़ते रहना चाहिए।
राजकुमार तिवारी (राज)