सिंचाई पानी के लिए किसानों में आया ‘उबाल’ , नेशनल हाइवे को किया जाम

श्रीगंगानगर, । पंजाब की ओर से बीकानेर कैनाल में पानी की आपूर्ति बंद कर देने से क्षेत्र के किसानों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। वे खेत और घर छोड़कर सड़कों पर बैठ गए हैं। अब उनकी मुख्य मांग यह है कि जब तक राजस्थान की नहरों में पानी की आपूर्ति शुरू नहीं हो जाती तब तक वे पीछे नहीं हटेंगे।

ग्रामीण किसान मजदूर समिति (जीकेएस) से जुड़े किसानों ने शुक्रवार शाम छह बजे से नेशनल हाइवे-62 को राजस्थान और पंजाब की सीमा साधुवाली पुल पर जाम कर दिया है। इससे वाहनों की आवाजाही बंद हो गई है। पंजाब से आने वाले वाहन राजस्थान में प्रवेश नहीं कर पा रहे हैं, वहीं राजस्थान से पंजाब जाने वाले वाहन भी फंसे हुए हैं। वहीं संयुक्त किसान मोर्चे से संबद्ध किसानों ने शनिवार को मंडियां बंद रखने का आह्वान किया है। किसानों ने सुबह नई धान मंडी के शिव चौक की ओर खुलने वाले गेट को बंद कर धानमंडी में धरना दिया। सूत्रों के अनुसार ज्यादातर वाहन सादुलशहर क्षेत्र के पतली बैरियर से पंजाब आ-जा रहे हैं। इससे सादुलशहर क्षेत्र में वाहनों की लंबी कतारें लग गई हैं। जीकेएस से जुड़े करीब 200 किसान रातभर साधुवाली पुल पर मौजूद रहे। ब्लॉक चूनावढ़ के अध्यक्ष रामकुमार सहारण ने बताया कि किसान नेता रणजीत सिंह राजू, पीलीबंगा ब्लॉक अध्यक्ष गगनदीप सिंह सिद्धू, राजकरण सिंह 14 जी व 14 जी के संगम अध्यक्ष जगतार सिंह व अन्य नेता अपनी टीमों के साथ रात भर डटे रहे। उन्होंने बताया कि स्टूडेंट, महिला, मरीजों और पशु वाहनों को जाम से मुक्त रखा गया है। शनिवार सुबह नौ बजे से किसानों की भीड़ साधुवाली पुल पर जुटनी शुरू हो गई है। सुरक्षा व्यवस्था को लेकर पुलिस भी सतर्क है। जिला प्रशासन और पुलिस के अधिकारी स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं।

पंजाब की ओर से बीकानेर कैनाल में पानी की आपूर्ति बंद कर देने के विरोध में आंदोलन कर रहे किसानों के समर्थन में शनिवार को जिले की कई धान मंडियां बंद रहीं। संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े किसानों ने आज सुबह शिव चौक की ओर खुलने वाले नई धानमंडी के गेट को बंद कर दिया। इससे धानमंडी में कृषि जिसों की आवाजाही नहीं हो पाई। आक्रोशित किसानों ने धानमंडी में धरना दिया। धरना देने वालों में गुरबलपाल सिंह संधू, अमर सिंह बिश्नोई, मनिंद्र सिंह मान व गुरलाल बराड़ व अन्य किसान शामिल थे। वहीं व्यापारियों का कहना है कि उन्होंने आंदोलित किसानों के समर्थन में अपनी दुकानें बंद रखीं हैं और वे किसानों के साथ हैं।

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