सुविधा शुल्क की नही हुई व्यवस्था तो जिम्मेदारों ने बनाया बजट का बहाना

डीपीआरओ कार्यालय से नही हुआ भुगतान तो बीडीओ ने भी रोका वेतन

सचिव की हुई दर्दनाक मौत अब सामने आ रही हकीकत

सीतापुर। विभाग की कार्यशैली और सचिव की मौत की हकीकत सुनने के बाद जो दिखाई दिया और सुना उसको अब नजरंदाज करे तो कैसे ? सचिव विवेक कुमार की मौत सुविधा शुल्क और बहाने बाजी पर टिक रही है। विभाग के अधिकारी जान रहे है कि उनकी पोल पटटी लगातार खुल रही है तो एक जिम्मेदारी पटल अधिकारी दूसरे पटल अधिकारी के पाले में लापरवाही की गेंद फेंक रहा है। सभी अधिकारी अपनी अपनी गर्दन बचा रहे है। कोई अधिकारी दूसरे अधिकारी को जिम्मेदार ठहरा रहा है तो कोई अधिकारी किसी और को लेकिन बिल लिपिक ने पूरी गेंद ही रामपुर मथुरा खण्ड विकास अधिकारी के पाले फेंक दी। अब तनिक पाठक और आला अफसर ही सोचे एक सरकारी कर्मचारी जिसका करीब चैदह लाख रूपये की भारी भरकम धनराशि जिससे सचिव का लीवर बदला जा सकता था लेकिन खर्चा अधिक होने के कारण चैहद लाख रूपये लीवर बदलने में कम दिखाई दे रहे थे इस कारण वह रिश्वत नही दे रहा फिर खण्ड विकास अधिकारी रामपुर मथुरा ने सचिव का वेतन भी रोक रखा था ऐसे हालातों में बीमार सचिव की मौत नही तो और क्या होती ?

जब सरकारी कर्मचारी को वेतन ही नही मिलेगा वह घर परिवार का खर्च कैसे चला पायेगा फिर जब सरकारी कर्मचारी को गम्भीर बीमारी हो उसके साथ विभागीय अफसर बकाया देने के बजाय उसका वेतन रोक दे तो उसका क्या हाल होगा। विवेक की मौत को करीब एक सप्ताह का समय बीत रहा है इसके बाद भी अभी तक मृतक सचिव का बकाया भुगतान नही मिल सका है अफसर यही कह रहे है कि बकाया भुगतान दिलवाने की व्यवस्था की जा रही है जबकि हकीकत तो यह है कि सितम्बर माह के बजट में भी मृतक सचिव विवेक का नाम नही गया है। पंचायत राज विभाग के ऐसे सिस्टम पर रोना नही आयेगा तो क्या आयेगा? जिस सरकारी अधिकारी का वेतन रोक दिया जायेगा और उसका जो भुगतान पहले से बकाया है वह भी केवल इस लिये नही दिया जायेगा कि वह पटल के लिपिक को रिश्वत नही दे पा रहा है जबकि पटल का लिपिक व विभागाध्यक्ष जानते थे कि उनका स्टाफ गम्भीर बीमारी से परेशान है और वह जिन्दगी और मौत से जूझ रहा है इसके बाद भी पटल लिपिक और अफसर को अपने स्टाफ पर दया नही आई। सरकारी अफसर विवेक की मौत की हकीकत जानकर ऐसा कोई व्यक्ति नही जिसकी आंख से पानी न निकला हो लेकिन विभागीय अफसर अब भी अपना बचाव कर रहे है।

कुछ भी न्याय हित में विवेक की मौत पर किसी न किसी अफसर की जवाब देही तो बनती होगी तो उस अफसर से जवाब क्यो नही लिया जा रहा है। बिवेक पिछले काफी समय से अपना उपचार करवाने के लिये विभाग के अफसरों से अपना बकाया धन मांग रहा है। यह लिखिते हुए आंखो में पानी आ रहा है कि खण्ड विकास अधिकारी रामपुर मथुरा सब कुछ जानते थे कि उनका अधीनस्थ बीमार है वह हर पाल मौत के करीब जा रहा है उसका लीवर एक दम फेल हो चुका है इस कारण उसका वेतन इस लिये रोक दिया गया कि वह कार्यालय नही आ रहा है। सब कुछ जानते हुए विवेक का वेतन रोका गया कुछ जानकारी नही थी तो कम से कम पन्नाधाय का त्याग ही पढ़ लेते । इतना सब होने के बाद सभी अधिकारी अपनी नौकरी बचा रहे है विभाग का कोई भी ऐसा हाथ नही जो सचिव विवेक की मौत के बाद कम से कम उनके परिजनों को धीरज बंधाने के लिये जो विभाग के अफसरों से विवेक न्यायिक लड़ाई लड़ सके। ऐसे में संघ ने भी अपना हाथ पूरी तरह से पीछे खींच लिया है। समन्वय समिति के जिम्मेदारो ने जवाबदेही में नम्बर रिसिब करना छोड़ दिया ।

मै वरिष्ठ लिपिक हूं बिल तो अवनीश काटते है- दुर्गाचरण

सीतापुर। इस सम्बन्ध में जब वरिष्ठ लिपिक दुर्गाचरण से बात की गई तो उन्होने कहा कि मै वरिष्ठ लिपिक हूं मेरे सीट पर विवेक के बिल ही नही आये। बिल काटने की जिम्मेदारी पटल बिल लिपिक अवनीश की है। इस बात का जवाब तो अवनीश ही दे सकते है कि उन्होने बिल काटने में इतना विलम्ब क्यो किया। जब तक बिल नही कटेगे तब तक भुगतान होना संभव नही है। इस कारण बिल लिपिक अवनीश से ही बात करें।

क्या बोले बिल लिपिक अवनीश चैधरी

जब गम्भीर बीमारी से पीड़ित सचिव विवेक के बकाया बिलों के बारे में बिल पटल अवनीश से बात की गई तो उन्होने कहा कि विभाग में बजट नही था इस कारण हम विवेक कुमार को उनका बकाया नही दे पा रहे है। हम जानते थे विवेक को गम्भीर बीमारी थी लेकिन बजट न होने के कारण बिलों को नही काटा गया वर्तमान स्थित की बात की गई तो उन्होने कहा उस समय बजट नही था इस समय विभाग में बजट है। जब अभिषेक शाहू के बकाया के मामले में जानकारी ली गई तो बताया ट्रान्सर्फर होने के कारण उनका भुगतान नही हो सका। जब पूछा गया कि डिजटल भारत में भुगतान आॅन होता है या चेक से तो बोले भुगतान तो आॅन लाइन ही होता है। विवेक के वेतन का भुगतान खण्ड विकास अधिकारी रामपुर मथुरा ने रोका था। सुविधा शुल्क लेने देन की बात को बिल लिपिक ने पूरी तरह से नकार दिया।

मैने विवेक को इजाज के लिये भेजा था

सचिव विवेक को बकाया नही मिला और ऊपर से बीडीओ रामपुर मथुरा ने विवेक का वेतन भी रोक दिया था। इस सम्बन्ध में रामपुर मथुरा खण्ड विकास अधिकारी ने बताया कि मुझ यह पता था कि विवेक बीमार चल रहा है मैने ही उसको उपचार करवाने के लिये कहा था। विवेक कार्यालय नही आ रहा था इस कारण मैने विवेक का वेतन रोक दिया था। वर्तमान समय में वह रामपुर मथुरा में नही था वह डपीआरओ कार्यालय पर अटैच था। मेरे द्वारा सभी पपत्र भुगतान हेतु पूर्ण कर जिले पर भेज दिया गया था।

सितम्बर माह में सभी का हेागा भुगतान पर विवेक का नही

सितम्बर माह का बजट पास करवाने हेतु भेजा जा चुका है। विभाग जानता है कि जब विवेक को वेतन और बकाया भुगतान दोनो ही रूके थे तो ऐसी स्थित में परिवार के सामने आर्थिक दिक्कते भी आयेगी। ऐसे गम्भीर हालातों में भी सितम्बर माह के बजट में मृतक सचिव विवेक के नाम को शामिल नही किया गया है। जो चर्चा का विषय बना हुआ है।

क्या विवेक का मामला होगा निदेशक के संज्ञान में

सूत्रो द्वारा मिली जानकारी के अनुसार सचिव साहू के भुगतान मामले में निदेशक ने संज्ञान मे लिया था। फिर सचिव विवेक का मामला निदेशक द्वारा संज्ञान में लिया जायेगा।

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