पति की दीर्घायु के लिए मनाए जाने वाले करवाचौथ पर्व को लेकर उन्नाव के सदर बाजार में जमकर खरीददारी की गई। इस दौरान महिलाओं ने करवा के अलावा चूरा, खिलौना, लइया आदि की खरीददारी की। हालांकि करवाचौथ पर भी मंहगाई का असर देखने को मिला, लेकिन इसका असर खरीददारी पर नहीं दिखाई दिया।
करवा चौथ पर दिखाई दिया मंहगाई का असर
करवा चौथ पर्व को लेकर उन्नाव शहर में सदर बाजार बड़ा चौराहा और छोटा चौराहा से लेकर गांधीनगर तिराहे तथा राजधानी मार्ग, कंचन नगर, श्रीनगर, पोनी रोड, चंपापुरवा, मिश्रा कॉलोनी, ऋषि नगर समेत तमाम स्थानों पर दुकानें सजी हुई थी। जहां आज सुबह से ही महिलाओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। इस दौरान महिलाओं ने करवा के अलावा चूरा, लइया, गट्टा व खिलौने की जमकर खरीददारी की। हालांकि मंहगाई की मार करवा चौथ पर्व पर भी देखने को मिली। पर्व को देखते हुए दुकानदारों ने करवा के दामों में एकाएक बढ़ोत्तरी कर दी। जिसके चलते नगर में बीस से पचास रुपये तक में करवा बिका। इसके अलावा चूरा के दाम भी साठ से सत्तर रुपये तक पहुंच गए। वहीं गट्टा सौ से एक सौ बीस रुपये के बीच तक पहुंच गए। कई जगहों पर दामों को लेकर दुकानदारों व ग्राहकों के बीच जमकर मोलभाव हुआ। लेकिन दुकानदारों ने दाम कम नहीं किए। जिसके चलते ग्राहकों को मंहगे दामों पर पूजन सामाग्री खरीदनी पड़ी। वहीं दुकानदार ने बताया कि इस बार महंगाई के कारण हम लोगों ने भी सामान महंगा खरीदा है। जिस कारण दाम बढ़े हुये हैं।
बाजार में यह रहा समान का भाव
चुरा 60 से 70 रु. प्रति किलो
गट्टा 100 से 120 रु. प्रति किलो लइया 70 से 80 रु. प्रति किलो कनौजिया गट्टा 100 से 120 रु. प्रति किलो
खील 160 रु. प्रति किलो
खिलौना 120 रु. प्रति किलो तो वंही,20 रुपए से 50 रुपए तक करवा बिका।
मजबूत रिश्ते प्यार और विश्वास का प्रतीक करवा चौथ।
युग बदल गए मगर पति के प्रति प्रेम, सम्मान और समर्पण का भाव भारतीय सुहागिनों के मन में सदैव जीवंत रहा वे कमल के समान सदा अपनी मूल प्रव्रत्ति से जुड़ी रही है। करवा चौथ के दिन हाथ में छलनी लेकर चांद को दिखाती हैं और पति की लंबी आयु की कामना करती हैं। करवा चौथ उनके लिए केवल व्रत नहीं बल्कि उत्सव है। बदलते सामाजिक परिवेश में जब आदर्श टूटने लगे हैं, तब व्रत, पर्व और त्योहार की इन संवेदनशील रिश्तो की मजबूत बुनियाद की कड़ी बनते हैं। करवा चौथ एक भरोसा है जो पति-पत्नी के प्रेम और आपसी रिश्ते को मजबूत बनाता है।
क्या है करवा चौथ की विधि
कार्तिक मास के करवा चौथ को शिव-पार्वती कार्तिकेय की भी चौथ का व्रत प्रचलित मान्यताओं में चंद्रोदय के समय कृष्ण पक्ष की चौथ,यानी चंद्र देवता की पूजा के साथ गणेश जी और स्वामी जी की पूजा की जाती है। करवा चौथ अलग-अलग क्षेत्र में वहां के अनुसार किया जाता है। रात्रि स्त्रियां चंद्र देव को मिट्टी के करवे से जल का अघ्र्य देकर सर्वप्रथम छलनी के माध्यम से चंद्रदेव के दर्शन कर तुरंत उसी छलनी से पति के मुख्य का दर्शन करती हैं और उसके बाद भजन ग्रहण करती हैं इस दिन स्त्रियां पूर्ण सुहागिन का रूप धारण कर वस्त्राभूषण को पहनकर चंद्र देव शाहिद करवा माता से अखंड सुहाग की प्रार्थना करती हैं। स्त्रियां ईश्वर के समक्ष व्रत के साथ यह प्रण भी लेती है कि वह मन वचन और कम से पति के प्रति पूर्ण समर्पण की भावना रखेंगी।