जगदीशपुर- अमेठी। बीती शाम चांद दिखने के साथ ही रहमतों व बरकत का पाक माह रमजान शुरू हो गया है जहां मुस्लिम समुदाय के लोग आने वाले मुबारक महीने रमजान के चांद का दीदार करने के लिए आतुर नजर आए वहीं महिलाए व बच्चे भी पीछे नहीं रहे और सभी चांद देखने के लिए काफी उत्साहित रहे और चांद देखने के साथ-साथ खुश भी नजर आए। वहीं बीती शाम नमाज अदा करने के उपरांत चांद देखने के लिए लोग अपने अपने घरो के ऊपर छत पर चढ़कर चांद देखने के लिए मौजूद हुए और काफी इंतजार के पश्चात चांद का दीदार होने के बाद सभी लोग आगे की तैयारी मे लग गए और बच्चे, बूढे तथा नौजवान अल्लाह की इबादत करने मस्जिद की तरफ चल पड़े ।माहे रमजान में मुस्लिम समुदाय के लोग अल्लाह के फरमान के मुताबिक (रोजा)रखकर अपने परवरदिगार की इबादत मे मशरूफ रहते हैं।ऐसा माना जाता है कि इस महीने मे लोग खाने-पीने की चीजों से परहेज रखकर व झूठ फरेब आदि सभी बुरी बातों से बचकर वक्त गुजारना ही रोजा है। चांद देखने के पश्चात ही माहे रमजान की शुरुआत होती है और माह के आखिरी दिन चांद देखने के बाद ही अगले दिन ईदुल फितर का त्यौहार मनाया जाता है जो उन्तीस या तीस दिन का होता है ।
सुबह सादिक के पहर (सेहरी)के साथ ही रोजे की शुरुआत होती है तथा शाम को इफ्तार( भोजन)के साथ ही रोजा खत्म होता है जो माहे रमजान के दौरान आने वाले उन्तीस या तीस दिनों तक लगातार जारी रहता है ।वहीं प्रतिदिन शाम के समय नमाजे तरावीह भी मस्जिदों में अदा होती है जिसमें इमाम द्वारा कुरान-ए-पाक पढ़कर सुनाया जाता है ।माहे रमजान को तीन भागो मे बांटा गया है पहला दस दिन रहमत,दूसरा अशरा यानी दूसरे दस दिन बरकत व तीसरा अशरा मगफिरत का होता है और परवरदिगार ने कुरान-ए-पाक में माहे रमजान की बड़ी फजीलत बयान की है जो बेशुमार रहमतों अजमत व बरकतो से लबरेज है जिसकी जजा सीधे तौर पर परवरदिगार रोजेदारों को देता है। माहे रमजान का हर एक रोजा गुनाहों से बचने सादगी सदाचार व भाईचारा निभाने की भरपूर प्रेरणा तथा सही रास्ते पर चलने, उत्तम जीवन जीने का सबक देता है।ऐसा माना जाता है कि इस माह में किए नेक कार्यों का फायदा भी साल के बाकी दिनों की तुलना में कई गुना अधिक मिलता है इबादत के लिहाज से माहे रमजान का हर एक एक पल बेशकीमती है।