- घरों और दुकानों से पॉलिथीन के पैकेट बनाकर फेंका जा रहा है कचरा
- पशुओं के खाने लायक कचरे को पॉलिथीन में बांध कर सड़क पर या कचरा प्वाइंट पर न फेंकने की निष्पक्ष प्रतिदिन की अपील
निष्पक्ष प्रतिदिन,लखनऊ।
यदि आपको या आपके घर में किसी भी सदस्य को घर के पशुओं के खाने लायक कचरे को पॉलिथीन में बांध कर सड़क पर या कचरा प्वाइंट पर फेंकने की आदत है तो सावधान हो जाइए। आप कहीं न कहीं इन बेजुबान पशुओं की मौत का कारण बन रहे हैं। बात अकेले लखनऊ शहर की जाए तो बीते वर्ष में सैकड़ों पशु पॉलिथीन के प्रभाव के कारण मौत का शिकार हो चुके हैं। सैकड़ों की संख्या में गाय बीमार हो रही हैं।पशु चिकित्सकों की माने तो शहरी इलाकों में मरने वाली गायों का जब पोस्टमार्टम किया जाता है, तो उनके पेट से 15 किलो तक भी पॉलिथीन निकलता है। जो उनकी मौत का कारण बनता है। हम कहीं न कहीं अनजाने में ही पशु हत्या का भार अपने सिर ले रहे हैं।
निष्पक्ष प्रतिदिन की अपील है कि आप पशुओं के खाने लायक कचरे को पॉलिथीन में भरकर न फेंके।बता दें कि लखनऊ शहर में सड़कों पर गोवंश की भरमार है। सड़कों पर विचरते इन पशुओं को पेट की आग कचरे के ढेर में मुंह मारने को विवश करती है। जिसमें इन्हें नहीं पता होता कि ये पॉलिथीन खा रहे हैं। कचरे में कुछ खाद्य पदार्थों को सूंघ कर ये पॉलिथीन भी खा जाती हैं। जिससे इनकी मौत का रास्ता तय हो जाता है।घरों और दुकानों और अन्य प्रतिष्ठानों से कूड़ा पॉलिथीन में भरकर कचरा प्वाइंट्स पर फेंका जा रहा है।जानकीपुरम में 60 फिट रोड, सहारा स्टेट रोड, अलीगंज सहित विभिन्न कचरा प्वाइंट्स पर रात भर व सुबह उस जगह से कचरे का उठान होने तक ये पशु उसमें मुंह मारते हैं और पॉलिथीन को भी खा जाते हैं।
पशुओं को तला हुआ भोजन भी न दें
शहर में सड़कों पर मरने वाले पशुओं का पोस्टमार्टम करने वाले पशु चिकित्सकों का कहना है कि गोशालाओं के अलावा सड़कों पर मरने वाले पशुओं का वे पोस्टमार्टम करते हैं तो उन्हें भी हैरानी होती है। किसी-किसी गाय के पेट से तो 15 किलो तक का पॉलिथीन का कचरा निकलता है। जो इनकी मौत का कारण बनता है।डॉक्टर नैन बताते हैं कि वे हर माह ऐसी 15 से 20 गायों का पोस्टमार्टम करते हैं। पॉलिथीन हजम नहीं हो सकता। यह सबसे पशु के पेट की नाली को ब्लॉक कर देता है। धीरे-धीरे यह पेट में एकत्रित होता रहता है। फिर एक जगह पूरी की पूरी गेंद बन जाती है। यह पॉलिथीन की गेंद पशु के मल नली व पेशाब की नली को ब्लॉक कर देती है। इसके बाद पशु अफारा आ जाता है। फिर बंधा हो जाता है। इसके बाद अंदर ही अंदर जहर बनता है और पशु की मौत हो जाती है। उनके अनुमान से एक माह में ऐसी 20 गायों की मौत होती है। गायों के लिए तली हुई वस्तुएं पूड़ी और अन्य खाद्य पदार्थ भी हानिकारक होते हैं। पूड़ी आदि भी नहीं खिलानी चाहिए।
नगर निगम की योजना फेल
नगर निगम द्वारा एनजीटी के निर्देशानुसार लोगों से अपील करते हुए हर घर और दुकान पर डस्टबिन की व्यवस्था करवाई जानी थी। यह योजना करीब-करीब फेल है। इस डस्टबीन में सूखा और गीला कचरा अलग-अलग एकत्रित किया जाना था, लेकिन न जाने यह नियम फाइलों से बाहर कब निकलेगा? न ही कचरा प्वाइंट्स पर डस्टबीन में कचरा डाला जाता। यह इसके आस-पास बिखरा रहता है। जिसमें पशु मुंह मारते हैं।
जागरूकता अभियान में भाग लेगा गोरक्षक दल
गोरक्षक दल के विमल कुमार सिंह ने कहा कि यह बहुत बड़ी समस्या है। इस जागरूकता अभियान में गोरक्षक दल भाग लेगा और लोगों से अपील की जाएगी कि वे बेजुबान गायों की मौत के सामान पॉलिथीन में कचरा भरकर कचरे प्वाइंट्स पर न फेंके।