शिमला। हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार वितीय संकट का सामना कर रही है। राज्य की माली हालत इतनी खस्ता हो गई है कि हर माह भारी-भरकम कर्जा उठाना पड़ रहा है। अब राज्य सरकार अपने खजाने भरने के विभिन्न तरीके तलाश रही है। सुक्खू सरकार कड़े फैसले लेकर आर्थिक व्यवस्था को पटरी पर लाने की कवायद में जुट गई है। पूर्व भाजपा सरकार के कार्यकाल में चलाई गई योजनाओं को बदलकर राजस्व जुटाने के तरीके निकाले गए हैं। राज्य सरकार खजाना भरने के लिए कई बड़े निर्णय ले चुकी है। इन्हें जमीनी स्तर पर लागू होने से इस वितीय वर्ष में सरकार को करीब दो हजार करोड़ रुपए का राजस्व जुटाने का अनुमान है।
पिछली कैबिनेट बैठक में सुक्खू सरकार ने 125 यूनिट मुफ्त बिजली योजना में बदलाव कर साधन संपन्न लोगों को इसके दायरे से बाहर कर दिया है। इसके अलावा होटल कारोबारियों को झटका देते हुए कमर्शियल मीटर पर दी गई सब्सिडी को भी खत्म कर दिया है। इन कदमों से बिजली बोर्ड सालाना लगभग 900 करोड़ रूपये अर्जित करेगा और सरकार को बोर्ड को भारी भरकम ग्रांट देनी नहीं पड़ेगी। दो दिन पहले सुक्खू कैबिनेट ने भाजपा सरकार की गांवों में मुफ्त पानी योजना को भी बंद कर दिया है। गांवों में अब गरीबों, एकल महिलाओं, विधवाओं व दिव्यांगों को छोड़कर अन्य लोगों को मुफ्त पेयजल सुविधा नहीं मिलेगी। प्रति घरेलू पेयजल कनेक्शन पर 100 रूपया मासिक और व्यवसायिक पेयजल कनेक्शन पर 100 रूपया मासिक के साथ मीटर रीडिंग के आधार पर पानी के बिल आएंगे। इससे सरकार को जल शक्ति विभाग को बिजली बोर्ड की करीब 800 करोड़ रूपये की अदायगी करने में मदद मिलेगी।
सुक्खू कैबिनेट ने पुलिस कर्मचारियों को एचआरटीसी बस यात्रा में सफर करने पर प्रतिपूरक राशि देने का फैसला किया है। ऐसे में पुलिस कर्मियों के वेतन से मासिक 110 रूपये नहीं कटेंगे और उन्हें एचआरटीसी बसों में सफर के दौरान अपनी जेब ढीली करनी पडेगी। इस फैसले को भी मुनाफा अर्जन के साथ देखा जा रहा है।
प्रदेश सरकार राजस्व जुटाने के लिए खनन नियमों में भी संशोधन कर चुकी है। इसके अलावा नई आबकारी नीति लागू होने से शराब के ठेकों की हर वर्ष नीलामी से सरकार को 600 करोड़ की आय होगी। शिक्षा विभाग में शून्य पंजीकरण वाले 99 स्कूलों और दो से पांच संख्या विद्यार्थियों वाले 460 स्कूलों को बंद कर भी सरकार अपने राजस्व की बड़ी राशि की बचत कर रही है। सुक्खू कैबिनेट के कर्मचारियों की स्टडी लीव पर जाने पर वेतन का 40 फीसदी देने के फैसले से भी करोड़ों का खर्चा बचेगा। सरकार अवैध खनन पर शिकंजा कसने के लिए नई नीति लेकर आई है, इससे सरकार केा अतिरिक्त राजस्व मिलने की संभावना है। पूर्व सरकार से चल रही हिमकेयर योजना का दायरा सीमित करने से भी सरकारी कोष की बचत होगी। सरकार ने हिमकेयर योजना से निजी अस्पतालों को बाहर कर दिया है। इससे सरकार को निजी अस्पतालों को भारी भरकम राशि नहीं देनी पड़ेगी। सरकार का तर्क है कि सरकारी अस्पतालों में जो मामूली आप्रेशन 25 हजार रूपये खर्च करके हो जाता है, वो आप्रेशन कुछ निजी अस्पतालों में एक लाख रूपये तक होता है। हिमकेयर योजना में इसका खर्चा सरकार को वहन करना पड़ता था।
पिछले वितीय वर्ष में राज्य सरकार ने राजस्व जुटाने के लिए दो बड़े कदम उठाए थे। इसके तहत डीजल पर वैट सात फीसदी बढ़ाया गया था। इसके अलावा स्टाम्प शुल्क में भी कई गुणा बढ़ोतरी हुई थी। इससे सरकार के खजाने में करोड़ों का राजस्व आ चुका है।
ये है प्रदेश की मौजूदा वित्तीय हालात
प्रदेश सरकार पर करीब 85 हज़ार करोड़ रुपए का कर्ज है। प्रदेश सरकार के बजट का बड़ा हिस्सा कर्ज की देनदारियां चुकाने और कर्मचारियों के वेतन व पेंशन पर खर्च हो रहा है। वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए प्रदेश सरकार की बजट राशि 62421 करोड़ रुपए है। इसमें प्रति 100 रुपए में से वेतन पर 25 रुपए, पेंशन पर 17 रुपए, ब्याज अदायगी पर 11 रुपए, ऋण अदायगी पर 9 रुपए, स्वायत्त संस्थानों की ग्रांट के लिए 10 रुपए तथा शेष बचे पूंजीगत कार्यों के लिए 28 रुपए खर्च करने होंगे।