बहराइच में मूर्ति विसर्जन के दौरान हुई हिंसा के बाद जारी ध्वस्तीकरण नोटिसों को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में सुनवाई होगी। मुख्य न्यायमूर्ति अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की खंडपीठ के समक्ष एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स संस्था की जनहित याचिका 18 नवंबर को सुनवाई को सूचीबद्ध है।
कोर्ट ने याचिका पर बीते 6 नवंबर को सुनवाई करते हुए मामले में राज्य सरकार से कई बिंदुओं पर जवाब दाखिल करने का मौखिक आदेश दिया था। राज्य सरकार के मुख्य स्थाई अधिवक्ता शैलेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि मांगा गया जवाब सोमवार को पेश किया जाएगा। हालांकि, मामले में कोर्ट ने अभी कोई अंतरिम आदेश नहीं दिया है लेकिन, फिलहाल ध्वस्तीकरण नोटिस मामले में 18 नवंबर तक महाराजगंज बाजार के कथित अतिक्रमणकर्ताओं को राहत रहेगी।
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कोर्ट ने राज्य सरकार से मौखिक रूप से पूछा था कि क्या नोटिसें जारी करने से पहले वहां कोई सर्वे किया गया था या नहीं? क्या जिन्हें नोटिसें जारी हुईं वे लोग निर्मित परिसरों के स्वामी हैं या नहीं? नोटिस जारीकर्ता प्राधिकारी इन्हें जारी करने को सक्षम था या नहीं। इन बिंदुओं के अलावा कोर्ट ने सरकार से यह भी पूछा है कि महराजगंज बाजार की जिस सड़क पर बने निर्माणों को ढहाने की नोटिस जारी हुईं, क्या पूरा निर्माण या उसका कोई हिस्सा अवैध निर्माण था या नहीं?
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी की थी कि फिलहाल राज्य सरकार ऐसी कोई कारवाई न करे जो कानून सम्मत न हो। याचिका में बहराइच के महराजगंज बाजार के कथित अतिक्रमणकर्ताओं को बीते 17 अक्तूबर को जारी ध्वस्तीकरण नोटिसों को चुनौती देकर इन्हे रद्द करने के निर्देश देने का आग्रह किया गया है। बता दें कि बहराइच के महाराजगंज में 13 अक्तूबर को हिंसा के बाद रामगोपाल मिश्र की हत्या हो गई थी। इसके बाद वहां महाराजगंज के कथित अतिक्रमणकर्ताओं के निर्माणों को ढहाने की नोटिसें उन्हें जारी की गईं थीं।