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दिलवालों की दिल्ली ने इस बार बीजेपी के लिए सियासी दुलार दिखाया है. 27 साल से चले आ रहे बीजेपी के सूखे को वोटों की बारिश से खत्म कर दिया है. वोटों की बारिश…वो भी ऐसी कि इसमें आम आदमी पार्टी के बड़े-बड़े नेताओं की सियासी नाव डूब गई. अरविंद केजरीवाल जैसे दिग्गज नेता जो कभी कहते थे कि उन्हें हराने के लिए मोदी को अगला जन्म लेना पड़ेगा, उन्हें मोदी के सिपाही परवेश वर्मा ने नई दिल्ली विधानसभा सीट पर 3 हजार 182 वोटों से हराया है. इस चुनाव में जितना चटक बीजेपी की जीत का रंग है, उससे ज्यादा निस्तेज AAP की हार की वो परछाई है, जो खुद में उन वादों और दावों को समेटे हुए है, जो अब जनता की अदालत से ठुकराए जा चुके हैं.
सियासत नंबर का खेल है. इस लिहाज से कांग्रेस का प्रदर्शन जहां से शुरू हुआ था वहीं आकर ठहर गया है. ये तीसरा चुनाव है जब कांग्रेस जीरो पर ही सिमट गई है. आइए कुछ मजेदार कैरिकेचर के साथ जानते हैं चुनावी नतीजों की खास बातें.
जैसे बदलती ऋतु के साथ किसान फसलों पर फोकस करता है वैसे ही चुनाव के ऐलान से पहले पार्टियां अपनी तैयारी में जुट जाती हैं. इस बार भी कुछ ऐसा ही था. दिल्ली चुनाव के ऐलान के साथ ही सभी राजनीतिक दल अपने-अपने दावे और वादों के साथ जनता के बीच गए. आम आदमी पार्टी को भरोसा था कि वो एक बार फिर सत्ता में काबिज होगी. हालांकि ऐसा नहीं हुआ और बीजेपी दिल्ली में वापसी कर चुकी है.
कालकाजी सीट से जीतीं आतिशी
इस चुनाव में आम आदमी पार्टी और व्यक्तिगत तौर पर अरविंद केजरीवाल को बड़ा झटका लगा है. वो अपनी सीट भी नहीं बचा पाए हैं. पार्टी की इस हार के बीच आतिशी अपनी सीट बचाने में कामयाब रही हैं. उन्होंने बीजेपी उम्मीदवार रमेश बिधूड़ी को हराया है. आतिशी को 52 हजार 154 और रमेश बिधूड़ी को 48 हजार 633 वोट मिले हैं. जबकि कांग्रेस प्रत्याशी को महज 4 हजार 392 वोट मिले हैं.
अधूरा रह गया केजरीवाल का सपना
आम आदमी पार्टी की ओर से लगातार दावे किए जा रहे थे कि उसे जीत मिलेगी और अरविंद केजरीवाल चौथी बार सीएम बनेंगे. हालांकि, आम आदमी पार्टी के सपने चकनाचूर हो गए हैं. सीएम की कुर्सी और उनके बीच अब लंबा फासला है. फिलहाल उनके नाम के लिए पूर्व मुख्यमंत्री ही लिखा जाएगा.
जीरो से चली और जीरो पर रही कांग्रेस
इस चुनाव में नंबर के लिहाज से कांग्रेस के प्रदर्शन की बात करें तो वो न नफा, न नुकसान वाली स्थिति में है. 2015 में उसका सफर जहां रुका था, आज भी कांग्रेस उसी नंबर पर है. लगातार तीन चुनावों में जनता ने उसकी किस्मत में जीरो ही लिखा है. हालांकि, ये जरूर कहा जा रहा है कि कांग्रेस के अच्छे चुनाव प्रचार की वजह से आम आदमी पार्टी को नुकसान जरूर हुआ है. इस तरह कांग्रेस ने अपने नेतृत्व वाले इंडिया गंठबंधन की वैल्यू जरूर बता दी है.